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Janhit Yachika Kya Hai जनहित याचिका क्या होती है

Janhit Yachika Kya Hai

जनहित याचिका(Public Interest Litigation: PIL) : न्यायालय द्वारा गरीब वर्ग को फ्री लीगल सहायता प्रदान करना है। जिसमें जनहित के मौलिक अधिकारों की वकालत की जाती है। इस न्याय प्रणाली में  समाज के कमजोर, गरीब एवं अनपढ़ तबके की सुरक्षा की जाती है। जनसुनवाई  माध्यम से पब्लिक अपने उल्लंघित अधिकारों को न्यायालय में सार्वजनिक उत्साहित नागरिक द्वारा याचिका दायर कर के पुनः प्राप्त कर सकती है। समाज में यदि किसी व्यक्ति-समूह या पब्लिक के संवैधानिक अधिकारों का दमन अथवा शोषण होता है, तो जनता के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा के लिए कोर्ट में याचिका दायर की जाती है। जिसका उद्देश्य पब्लिक अधिकारों को पुनः लागू कराना होता है। जनहित याचिका मुख्यतः गरीब, शोषित, कमजोर, मजदूर वर्ग को सही न्याय दिलाना है। 

जनहित याचिका का आधार

लीगल प्रक्रिया बहुत ही खर्चीली होती है, लम्बे समय तक वकीलों की फीस देना सामान्य जनता के लिए संभव नहीं है। इसलिए  भारतीय संविधान में जनहित याचिका उन लोगों के लिए खास महत्व रखती है जो गरीबी व आर्थिक समस्या के कारण न्याय प्रक्रिया के खर्च को वहन नहीं कर सकते है। समाज का एक बड़ा भाग ऐसा होता है, जिसे अपने संवैधानिक अधिकारों की जानकारी नहीं होती है, इसलिए वह अनदेखी में अपने मूल अधिकारों का हनन होने देता है। इस समस्या के समाधान के लिए ही जनहित याचिका का जन्म हुआ है, यह व्यवस्था जन सामान्य को ध्यान में रखकर बनाई गई है, यदि किसी कानून, नियम, संस्था अथवा व्यक्ति द्वारा जनता के मूल अधिकारों(public rights) का उल्लंघन होता है, तो न्यायालय को न्याय करने के लिए जन याचिका के माध्यम से सूचित किया है।

  • जनहित याचिका सार्वजनिक हितों की रक्षा का उपाय है, यदि यह सही रूप से प्रयोग में नहीं लायी जाती है, तो जनता का न्यायपालिका एवं लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास कम हो जाता है।
  • यदि भारतीय संविधान भाग-3 द्वारा जनता को दिये मौलिक अधिकारों का उल्लंघन होता है तो जन याचिका के माध्यम से इन अधिकारों को पुनः लागू कराया जाता है।
  • जब प्रत्यक्ष रूप से व्यक्ति समुदाय के साथ गलत व गैरकानूनी कार्य होता है, किन्तु दरिद्रता, अनदेखी व असमर्थता के कारण समुदाय अपने अधिकारों के रक्षा करने की स्थिति में नहीं होता है तो जनहित याचिका इसका एक उपाय है।
  • कोर्ट में जनहित याचिका तब दाखिल की जा सकती है, जब व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह को लगता है कि उनके सार्वजनिक कर्तव्यों एवं संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण हो रहा है। इन समूहों के इरादे अच्छे होने चाहिए, न की पर्सनल लाभ के लिए।
  • बहुत सारे राजनीतिक व्यक्ति अपने फायदे के लिए जनहित याचिका का दुरुपयोग कर सकते है। इसलिए यह याचिका नेताओं, संस्थाओं व अन्य विभागों को इसका दुरुपयोग करने से मना करती है। सार्वजनिक हित में निर्णय लेने से पहले कोर्ट यह संतुष्ट करना चाहता है कि, कहीं राजनेताओ, बेईमान याचिकर्ताओं और अन्य गलत मानसिकता रखने वाले व्यक्तियों अथवा समूहों द्वारा न्यायालय का गलत प्रयोग तो नहीं हो रहा है।
  • याचिकाकर्ता का कर्तव्य है कि, वह न्यायालय के समक्ष स्वच्छ हृदय, एवं स्वच्छ उद्देश्य को ध्यान में रखकर जाये। जो जानकारी न्यायालय में प्रस्तुत की जाती है वह जांच से संबंधित होनी चाहिए।

जनहित याचिका श्रेणियों 

निम्नलिखित श्रेणियों से सम्बंधित विषय में ही जनहित याचिका दाखिल की जा सकती है.

  • उपेक्षित बच्चे, बंधुआ मजदूरी का मामला।
  • श्रमिकों को न्यूनतम मजदूरी का भुगतान न करना और उनका शोषण। लेबर नियमों के उल्लंघन से संबंधित शिकायत जिसमें व्यक्तिगत मामले शामिल न हो।
  • जनता के हितो से सम्बंधित वे सभी विषय जिनमें पर्यावरण प्रदूषण, वन व जीव जंतुओं का संरक्षण, सांस्कृतिक विरासत का संरक्षण व इकोलॉजी संतुलन आदि मामलों से जुड़ी याचिका।
  • जेल में कैदियों का उत्पीड़न, उनकी समय से पूर्व रिहाई, फास्ट ट्रायल, जेल में मृत्यु, स्थानान्तरण, पर्सनल शर्तों पर रिहाई आदि की याचिका।
  • महिलाओं पर अत्याचार व क्रूरता, रेप, मर्डर, दुल्हन को आग लगाना आदि के विरूद्ध याचिका।
  • पुलिस द्वारा FIR रजिस्टर न करना व पुलिस द्वारा उत्पीड़न करना एवं कस्टडी में मृत्यु आदि के मामले।
  • ऐसी उत्पीड़न की सभी शिकायतें जिनमें ग्रामीणों द्वारा सह ग्रामीणों का या पुलिस द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति एवं आर्थिक रूप से पिछडे वर्ग का शोषण किया गया हो के मामले।

जनहित याचिका एवं रिट याचिका में अंतर

जनहित याचिका व रिट याचिका दोनो एक दूसरे से अलग है। जब किसी व्यक्ति के संविधान में दिए मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण होता है, इन अधिकारों को पुनः प्राप्त करने के लिए सुप्रीम कोर्ट में भारतीय संविधान की धारा 32 अथवा हाई कोर्ट में धारा 226 के अंतर्गत न्यायालय में याचिका दायर कर सकता है। जबकि जनहित याचिका में जब व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों का समूह अथवा पब्लिक अधिकारों अतिक्रमण को रोकने के लिए न्यायालय में जन याचिका डाली जाती है, जो कि एक फ्री लीगल सेवा होती है। इसलिए कानूनी भाषा में जनहित याचिका(PIL) को Locus Standi का अपवाद भी कहते है। 

जन याचिका किसी व्यक्ति विशेष को लाभ देने के लिए नहीं है

कोर्ट में जनहित याचिका तब दाखिल की जा सकती है, जब व्यक्तियों अथवा व्यक्तियों के समूह को लगता है कि, उनके सार्वजनिक कर्तव्यों एवं संवैधानिक अधिकारों का अतिक्रमण हो रहा है। यह न्यायिक व्यवस्था किसी व्यक्तिगत लाभ के लिए नहीं होती है।

कोर्ट जनहित याचिका के द्वारा पब्लिक के सार्वजनिक हितों की रक्षा करती है, यदि किसी व्यक्ति समूह का कोई सार्वजनिक हित अथवा अधिकार दबा(infringe) कर दिया गया है तो, न्यायालय में जन याचिका दाखिल की जाती है, और कोर्ट उस पर संज्ञान लेते हुए भारतीय संवैधानिक नियमों के अनुसार न्याय प्रदान करता है। जनहित याचिका का मूल लोगों के संवैधानिक हितों को ज्यों का त्यों लागू करना एवं उनकी प्रत्येक क्षण रक्षा करना भी है। 

जनहित याचिका की मंशा जनसामान्य के मौलिक अधिकार हनन व अतिक्रमण के विरुद्ध न्यायालय को अवगत कराना है। यह कार्य लिटिगेटर्स के द्वारा किया जाता है, पब्लिक लिटिगेटर्स को न्यायालय में सिद्ध करना पड़ता है, गरीबी, अनदेखी व सामाजिक आर्थिक कमजोरी के कारण जनता के संवैधानिक अधिकारों का नाश हो रहा है। अतः न्यायालय इस विषय में संज्ञान लेते हुए, त्वरित कारवाई करे जिससे जनता के बीच समानता एवं न्याय व्यवस्था का संतुलन बना रहे।

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