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Brahmacharya Ke Fayde : ब्रह्मचर्य के फायदे

brahmacharya ke fayde

ब्रह्मचर्य वह शक्ति है जो मनुष्य को अमृत प्रदान करता है, यह व्यक्ति को दीर्घायु प्रदान करता है। जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य का पालन करता है, वो देव तुल्य हो जाता है। ब्रह्मचारी साधारण मनुष्यों से अलग होता है, उसकी चेतना का स्तर उच्च स्तर पर पहुँच जाता है. वह वेद शास्त्रों को सरलता से समझने की शक्ति प्राप्त कर लेता है। लंबे समय तक ब्रह्मचर्य का पालन करने वाला योगी अजय हो जाता है और ईश्वर को प्राप्त कर लेता है।

  • ब्रह्मचर्य से शरीर में शक्ति का संचार होता, एक सच्चा ब्रह्मचारी अजय बन जाता है, उसके मुखमंडल पर कांति दिखाई पड़ती है, वह निर्भीक होकर जीवन व्यतीत करता है।
  • लम्बे समय तक ब्रह्मचर्य का पालन करने से व्यक्ति को दीर्घ आयु प्राप्त होती है। वह निरोगी जीवन जीता है, वृद्धावस्था को उस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
  • ब्रह्मचर्य का पालन करने वाले व्यक्ति की प्रतिरोधक क्षमता सामान्य मनुष्य के मुकाबले कई गुना अधिक बढ़ जाती है।
  • वेद के अनुसार ब्रह्मचर्य से मृत्यु पर विजय प्राप्त की जा सकती है। अर्थात ब्रह्मचारी मृत्यु भय को छोडकर लम्बी आयु प्राप्त करता है।
  • ब्रह्मचर्य का दीर्घकाल तक पालन करने से मुखमंडल पर तेज उत्पन्न हो जाता है, व्यक्ति सुन्दर हो जाता है।
  • जो व्यक्ति ब्रह्मचर्य द्वारा कामवासना पर विजय प्राप्त कर लेता है, वह देवताओं के तुल्य स्थान प्राप्त कर लेता है।
  • एक सच्चा ब्रह्मचारी निर्भीक होकर जीवन व्यतीत करता है, उसे किसी का भय नहीं होता यहां तक की वह मृत्यु से भी नहीं डरता है।
  • ब्रह्मचर्य का नियमित रूप से पालन करने पर व्यक्ति के भीतर आत्मविश्वास की बढ़ोतरी होती जाती है, ऐसे व्यक्ति के नेत्रों में चमक दिखाई पड़ती है, वह साधारण मनुष्य की अपेक्षा अधिक आकर्षक प्रतीत होता है।
  • ब्रह्मचर्य व्रत से कार्य करने की क्षमता में तेजी से बढ़ोतरी होती है, व्यक्ति को कम थकान महसूस पडती है।
  • ब्रह्मचर्य से वीर्य की रक्षा होती है, जो पुरुष लम्बे समय तक ब्रह्मचर्य का रक्षण करता है, उसे तेजस्वी एवं बुद्धिमान संतान की प्राप्ति होती है।
  • ब्रह्मचारी व्यक्ति की बुद्धि अति तेज हो जाती है, ब्रह्मचारी कोई भी विद्या सरलता से ग्रहण कर लेता है।

वेदों के अनुसार ब्रह्मचर्य

ब्रह्मचारी आचार्य व प्रजापति सभी को वश में कर लेता है

आ॑चा॒र्यो ब्रह्मचा॒री ब्र॑ह्मचा॒री प्र॒जाप॑तिः। प्र॒जाप॑ति॒र्वि रा॑जति वि॒राडिन्द्रो॑ऽभवद्व॒शी ॥ अथर्ववेद 11.5.16

ब्रह्मचर्य को धारण करने वाला आचार्य तथा प्रजा का पालन करने वाला प्रजापति ब्रह्मचर्य की शक्ति से ऐश्वर्या को प्राप्त करता हुआ  सबको वश में कर के अनेक प्रकार से विराट शासन को प्राप्त होता है। 

प्राचीन भारत में बच्चों को शिक्षा प्रदान करने के लिए गुरुकुल व्यवस्था थी, जहाँ पर विद्यार्थियों को ब्रह्मचर्य का पालन करना होता था। गुरुकुल के आचार्य भी सच्चे ब्रह्मचारी होते थी जिस कारण वह विद्वान व शक्तिशाली होते थे। गुरुकुल के ब्रह्मचारी ही राजा के पद के लिए चुने जाते थे। ब्रह्मचर्य को धारण करने वाले आचार्य व राजा सभी व्यक्तियों पर शासन करते है, अर्थात वे विद्वान होकर समाज में सत्य विद्या का प्रचार करता है तथा असत्य का दमन करते है. जिससे लोग उनका आदर सत्कार करते है।

ब्रह्मचर्य के तप से राजा राष्ट्र की रक्षा करता है

ब्र॑ह्म॒चर्ये॑ण॒ तप॑सा॒ राजा॑ रा॒ष्ट्रं वि र॑क्षति। आ॑चा॒र्यो ब्रह्मचर्येण ब्रह्मचा॒रिण॑मिच्छते ॥ अथर्ववेद 11.5.17

ब्रह्मचारी राजा ब्रह्मचर्य  के तप से राष्ट्र की सदैव रक्षा करता है, वास्तव में एक सच्चा ब्रह्मचारी ही राजा बनने योग्य है। ब्रह्मचर्य  के प्रभाव से ही आचार्य विद्या वृद्धि के लिए विद्यार्थियों से प्रीति करता है।  

साधारण मनुष्य राजा बनने योग्य नहीं होता क्योंकि उसमें पर्याप्त सामर्थ्य, तेज, व पूर्ण आत्मविश्वास नहीं होता है। किन्तु एक ब्रह्मचारी निर्भीक होता है, वह काम, क्रोध, लोभ, भय पर विजय प्राप्त कर लेता है। इसलिए ब्रह्मचारी व्यक्ति ही राजा बनने योग्य होता अन्य और कोई नहीं।

ब्रह्मचारिणी कन्या तेजस्वी संतान को उत्पन्न करती है

ब्र॑ह्म॒चर्ये॑ण क॒न्या॒ युवा॑नं विन्दते॒ पति॑म्। अ॑न॒ड्वान्ब्र॑ह्म॒चर्ये॒णाश्वो॑ घा॒सं जि॑गीर्षति ॥ अथर्ववेद 11.5.18

जिस प्रकार बैल व अश्व घास खाकर बलवान हो जाते है और युवावस्था आने पर ही संतान उत्पन्न करते है, उसी प्रकार कन्या को चाहिए की वह ब्रह्मचर्य का युवावस्था तक पालन करें इसके पश्चात ही योग्य पति से संतान उत्पन्न करें। ऐसे माता पिता जिन्होंने ब्रह्मचर्य का पालन कर संतान उत्पन्न की हो, उनके बालक तेजस्वी, बुद्धिमान व परम प्रतापी होते है।

ब्रह्मचर्य तप से विद्वान लोग मृत्यु को लांघ जाते है

ब्रह्मचर्य अति शक्तिशाली प्रक्रिया है, यह व्यक्ति को अमरता प्रदान करता है। ब्रह्मचर्य व्रत धारण करने से शरीर की आंतरिक शक्तियां जागृत हो जाती है। ब्रह्मचर्य के प्रभाव से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है जिससे मनुष्य को दीर्घायु प्राप्त होती है। जो व्यक्ति पूर्ण ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह 500 वर्ष तक जीवन जी सकता है। वेद कहता है कि ब्रह्मचर्य  से मनुष्य मृत्यु के भय को नष्ट कर देता है।

ब्र॑ह्म॒चर्ये॑ण॒ तप॑सा दे॒वा मृ॒त्युमपा॑घ्नत। इन्द्रो॑ ह ब्रह्म॒चर्ये॑ण दे॒वेभ्यः॒ स्वराभ॑रत् ॥ अथर्ववेद 11.5.19

ब्रह्मचर्य के तप से विद्वान लोग मृत्यु को लांघ जाते है, अर्थात वे दीर्घ आयु को प्राप्त होते है एवं उनके भीतर मृत्यु का भय नहीं रहता है।

प्रकृति भी ब्रह्मचर्य से प्रसिद्ध होती है

वेद के अनुसार यह जगत तथा इसमें उपस्थित पदार्थ एवं समय भी ब्रह्मचर्य के कारण ही प्रसिद्ध है वेद कहता है कि-

ओष॑धयो भूतभ॒व्यम॑होरा॒त्रे वन॒स्पतिः॑। सं॑वत्स॒रः स॒हर्तुभि॒स्ते जा॒ता ब्र॑ह्मचा॒रिणः॑ ॥ अथर्ववेद 11.5.20

अर्थात ये औषधि, भूत व भविष्य जगत, दिन रात, वनस्पति, वर्ष और ऋतुएं ब्रह्मचर्य से ही जाने जाते है।

पृथ्वी आकाश पशु पक्षी ब्रह्मचर्य से ही प्रसिद्ध होते है

वेद कहता है पृथ्वी और आकाश के पदार्थ ब्रह्मचर्य की प्रक्रिया का पालन करते है। सभी पशु पक्षी जीव जन्तु भी यौवन अवस्था को प्राप्त होने पर ही संतान उत्पन्न करते है उससे पहले नहीं। इसलिए मनुष्य को चाहिए कि वह पशु पक्षियों, जीव जंतु, पेड़ पौधे से प्रेरणा लेकर ब्रह्मचर्य की शिक्षा ग्रहण करें। वेद में ब्रह्मचर्य का वर्णन कुछ इस प्रकार दिया है-

पार्थि॑वा दि॒व्याः प॒शव॑ आर॒ण्या ग्रा॒म्याश्च॒ ये। अ॑प॒क्षाः प॒क्षिण॑श्च॒ ये ते जा॒ता ब्र॑ह्मचा॒रिणः॑ ॥ अथर्ववेद 11.5.21

पृथ्वी तथा आकाश के पदार्थ, वन तथा गांव के पशु, पंख वाले व बिना पंख वाने ये सभी पक्षी ब्रह्मचर्य से ही जाने जाते है।

ब्रह्मचर्य का प्रभाव कितने दिन में दिखता है

ब्रह्मचर्य का प्रभाव 1 महीने में दिखने लगता है, किन्तु 1 वर्ष ब्रह्मचर्य का पूर्ण पालन करने से व्यक्ति के भीतर चमत्कारी बदलाव होते है। एक वर्ष ब्रह्मचर्य पश्चात ब्रह्मचारी के मुख पर अद्भुत तेज आ जाता है, स्वभाव में सकारात्मकता आती है, आत्मविश्वास बहुत अधिक बढ़ जाता है, अधिक कार्य करने पर भी थकान नहीं होती है। महर्षि दयानंद सत्यार्थ प्रकाश में लिखते है कि 48 वर्ष का ब्रह्मचर्य सर्वश्रेष्ठ है, जो व्यक्ति अडतालीस वर्ष तक अखंड ब्रह्मचर्य का पालन करता है वह 500 वर्ष तक जीवित रह सकता है।

ब्रह्मचर्य से दिमाग और शरीर कैसा रहता है

अखंड ब्रह्मचर्य धारण करने से दिमाग की मेधा शक्ति में वृद्धि हो जाती है फलस्वरूप ब्रह्मचारी कठिन विषयों को भी सरलता से समझ लेता है। ब्रह्मचर्य से मनन शक्ति बढ़ जाती है जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक विज्ञान की तरफ अग्रसर हो जाता है तथा देवत्व को पाना चाहता है।  ब्रह्मचर्य से शरीर का बल बढ़ता है तथा कार्य क्षमता में भी बढ़ोतरी हो जाती है। ब्रह्मचर्य की शक्ति से शरीर निरोगी हो जाता है तथा बीमारी पास भी नहीं भटकती है। ब्रह्मचर्य का पालन से शरीर का सौंदर्य बढ़ता है तथा व्यक्ति लम्बी उम्र तक सुखी जीवन जीता है। 

ब्रह्मचर्य के नुकसान 

ब्रह्मचर्य का कोई नुकसान नहीं, अपितु ब्रह्मचर्य से तो अमृत की प्राप्ति होती है। सच्चा ब्रह्मचारी ब्रह्मचर्य से परमानंद को प्राप्त कर अपनी ही धुन में मगन रहता है। ब्रह्मचर्य से योग सिद्ध हो जाता है जिससे ब्रह्मचारी को मोक्ष मार्ग सरलता से मिल जाता है। अतः ब्रह्मचर्य  से कोई नुकसान नहीं होता है।

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