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Bhagwan Ko Kisne Banaya : भगवान को किसने बनाया

Bhagwan Ko Kisne Banaya

भगवान को किसी ने नहीं बनाया है, वह तो अविनाशी, अजन्मा व निराकार है। भगवान शाश्वत है वह कोई पदार्थ नहीं है जिसे बनाया जा सके। भगवान ही प्रथम व अन्तिम सत्य है, यह समस्त ब्रह्माण्ड उसी ने रचा है, वह परमपिता समस्त भूतों का स्वामी है। भगवान ही सभी पदार्थों को बनाने वाला है, परंतु उसे बनाने वाला कोई नहीं है। क्योंकि वह सदैव एक जैसा रहता है। बनाया उस वस्तु को जाता है, जो नश्वर होती है, परंतु भगवान तो अमिट सत्य है. वह कोई पदार्थ अथवा वस्तु नहीं है जिसे बनाया जा सके।

यजुर्वेद 40.17 मंत्र कहता है कि हे मनुष्यों- सम्भू॑तिं च विना॒शं च॒ यस्तद्वेदो॒भय॑ꣳ स॒ह। वि॒ना॒शेन॑, अर्थात जिसमें समस्त सृष्टि उत्पन्न होती और उसी भगवान के भीतर नष्ट हो जाती है उसको तुम जानो। 

भगवान होने का सबसे बड़ा सबूत क्या है

भगवान होने का सबूत यह ब्रह्मांड है, अगर कोई बुद्धिमान व्यक्ति अपने विवेक का प्रयोग कर इस समस्त जगत की रचना एवं गतिविधियों को ध्यान से देखे एवं इन सब पर चिंतन करे तो वह पाएगा कि संसार में सब कुछ प्राकृतिक नियमों के अनुसार घटित हो रहा है। सूर्य चन्द्रमा, नक्षत्र ग्रह बड़ी सटीकता के साथ नियम में बंधे है व उन नियमों का लगातार पालन कर रहे है। सूर्य समस्त सौर मंडल की गतिविधि व पृथ्वी पर जीवन का कारण है। पेड़ पौधों के फल भगवान ने जीवों के लिए बनाएं, पीने के लिए जल बनाया, खाने के लिए स्वादिष्ट खाद्य पदार्थ बनाये, बीमारी का उपचार करने के लिए औषधियां बनाई। मनुष्य धरती पर चल सके इसके लिए घर्षण व गुरुत्वाकर्षण को बनाया। अगर इन सब बातो के विषय में ध्यान से सोचेंगे तो पाएंगे कि ये सभी एक व्यवस्थित प्रक्रिया में लगातार घटित हो रही है, और इसमें कोई त्रुटि भी पैदा नहीं होती है। इनको बनाने वाला कोई सर्वशक्तिमान है जिसका नाम भगवान है। 

क्या किसी ने भगवान को देखा है

हां, अग्नि, वायु,आदित्य व अंगिरा आदि ऋषियों ने भगवान को समाधि अवस्था में देखा है। तत्पश्चात भगवान ने इन ऋषियों को वेद का ज्ञान प्रदान किया। किन्तु भगवान को देखने के लिए ध्यान योग की आवश्यकता पडती। भगवान इन्द्रियों का विषय नहीं है इसलिए उसे आँखों से नहीं देखा जा सकता है। उसे देखने के लिए अपने अंतःकरण में झाकना पडता है। प्राचीन समय में ऋषि मुनि समाधि में जाकर भगवान का साक्षातार किया करते थे। किन्तु वर्तमान में यह विद्या लुप्त हो गई। उपनिषद के ऋषि कहते है कि जो व्यक्ति भगवान को प्राप्त करने का सच्चा प्रयास करता है, ईश्वर उस पर अपनी कृपा कर उसे दर्शन देते है।

क्या वैज्ञानिक भगवान को मानते है

विज्ञान एक संस्कृत शब्द है जिसका अर्थ होता है जानना। भारत के ऋषियों को ही वैज्ञानिक कहा जाता था, ये वैज्ञानिक भगवान में पूर्ण विश्वास रखते थे तथा अपना समस्त ज्ञान भगवान के द्वारा ही प्राप्त करते थे। प्राचीन भारतीय वैज्ञानिक भगवान द्वारा वर्णित विद्या को जानकर उसे लोक कल्याण में लगाते थे. ताकि समाज में वैज्ञानिक विचारधारा व तर्क का माहौल पैदा हो सके और अविद्या का नाश हो जाये। 

परंतु पश्चिम देशों के साइंटिस्ट भगवान को नहीं मानते क्योंकि उनकी खोज केवल पदार्थ तक ही सीमित है उससे आगे वह पहुँच नहीं पाये। इसलिए वे भगवान को नहीं जान सके। 

भगवान से मिलने का उपाय

भगवान से केवल वह व्यक्ति सकता है जिसने अपनी वासनाओं पर विजय प्राप्त कर ली हो।  जो व्यक्ति मन, वचन व वाणी से एक जैसा हो. वह व्यक्ति सिद्धि को प्राप्त कर भगवान से मिल जाता है। मनुष्य व भगवान के बीच में अविद्या विराजमान रहती है, किन्तु व्यक्ति कर्म योग, ध्यान योग अथवा भक्ति योग के द्वारा भगवान तक पहुंच सकता है। भगवान सदैव सभी जीवों के ह्रदयगुहा में विराजमान रहते है, उनसे मिलने के लिए मनुष्य को अपने भीतर झांकने का प्रयास करना पडता है। ध्यान के द्वारा व्यक्ति अपनी आत्मशक्ति को जागृत कर भगवान से मिल सकता है।

भगवान से केवल बुद्धिमान लोग ही मिल सकते है, क्योंकि वेद कहता है कि, तदे॑जति॒ तन्नैज॑ति॒ तद् दू॒रे तद्व॑न्ति॒के। तद॒न्तर॑स्य॒ सर्व॑स्य॒ तदु॒ सर्व॑स्यास्य बाह्य॒तः ।। अर्थात वह भगवान बुद्धिमान के समीप व मूर्खों की दृष्टि से बहुत दूर है। वह सभी पदार्थों के भीतर व बाहर मौजूद है। 

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