संयुक्त राष्ट्र जैसे बड़े संस्थान भी वर्तमान व भविष्य में मनुष्य की जनसंख्या वृद्धि से होने वाली हानियों की तरफ ध्यान देने में विफल ही कहा जाएगा। क्योंकि इन संस्थाओं व संगठनों को जन्म मानव एवं प्राकृतिक संसाधनो की अत्यधिक प्रयोग से सुरक्षा, शुद्ध जल व वायु, अच्छा भोजन, पर्यावरण संरक्षण, वैज्ञानिक सोच, उचित शिक्षा के लक्ष्य को पूर्ण करने के लिए हुआ था। परन्तु, अफसोस की बात यह है कि, ये संगठन बस नाम मात्र एवं दिखावे भर के ही रह गये हैं।
जनसंख्या वृद्धि के नुकसान क्या है, इस विषय को इस लेख में कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं की सहायता से समझते हैं।
जनसंख्या वृद्धि के नुकसान
जनसंख्या वृद्धि के नुकसान इस प्रकार है –
पर्यावरण व प्रकृति का क्षय
खतरनाक घुंए एवं कारखानों व वीइकल्स आदि से उत्सर्जित विषैली गैसों के कारण नदियां, झरने, ग्लेशियर, मैदान, पेड़-पौधों को भयंकर नुकसान पहुँचते हैं। इसके अलावा पशु पक्षियों व अन्य जीव जन्तुओं के जीवन हानि, गंभीर बीमारियों एवं प्राकृतिक भोजन, शुद्ध जल व वायु की समस्या उत्पन्न हो गई है।
व्यवसाय में कमी व दरिद्रता दर में वृद्धि
जरूरत से ज्यादा मनुष्य जनसंख्या बढ़ने से, बिजली, सड़क, नौकरी, खेती, ईंधन, भोजन, शिक्षा आदि मूलभूत प्राकृतिक व अप्राकृतिक संसाधनों की कमी एवं उनका नुकसान हो जाता है। जिस कारण व्यवसायो का अभाव होने से बेरोजगारी दर बढ़ जाती हैं। फलस्वरूप, राज्य, देश एवं विश्व में दरिद्रता की दर में वृद्धि हो जाती हैं।
वनो एवं वृक्षों का कटान होने से भोजन व प्राकृतिक आपदाओं की समस्या
जनसंख्या वृद्धि होने से अधिक भोजन व अधिक जीवन उपयोगी वस्तुओं की आवश्यकता होती हैं। मनुष्यों को भोजन, औषधि आदि महत्वपूर्ण वस्तुओं पेड़ पौधों एवं जंगलों से प्राप्त होती हैं। अधिक मात्रा में वृक्षों एवं जंगलों के कटाव से खाद्य पदार्थों की कमी हो जाती हैं। इसके अलावा, प्राकृतिक पर्यावरण संतुलन बिगड़ जाने के कारण मिट्टी का उर्वरता में कमी व वर्षा के समय बाढ़ एवं जलभराव जैसी समस्याओं से जन, धन का नुकसान भुगतना पड़ता हैं।
भ्रष्टाचार एवं अपराध मामलों में वृद्धि
अत्यधिक जनसंख्या वाले समाज में लोग पर्याप्त सेवाओं व नेचुरल रिसोर्स को स्वयं प्राप्त करने लिए, लालच में आकर अमान्य कार्य एवं भ्रष्टाचार में लिप्त होकर अपना अपना स्वार्थ पूरा करने के लिए दूसरे व्यक्तियों का दुःख व नुकसान पहुंचाते हैं। ज्यादा जनसंख्या आबादी वाले प्रदेश के भ्रष्ट लोगों पर अंकुश रखने के लिए सरकार व प्रशासन को बड़ा परिश्रम व उपाय करना पड़ता हैं।
जानवर, पशु-पक्षी व अन्य प्राणियों के अधिकारों का हनन
जनसंख्या वृद्धि से मनुष्य पालतू व घरेलू पशु, पक्षियों एवं अन्य जानवरों के लिए खतरा बना जाता है। क्योंकि मनुष्य द्वारा जानवरों के चरने के लिए खुले घास के मैदान, चरवाहे, पीन व स्नान के तालाब एवं नदियों, रहने के लिए जंगल आदि प्राकृतिक संसाधनों का अधिग्रहण कर नाश कर दिया जाता हैं। इससे बहुत सारे जीवों की भोजन, जल व रहने के स्थान के अभाव के कारण मृत्यु हो जाती हैं। अधिक जनसंख्या वृद्धि से जानवरो एवं अन्य जीवों के शिकार की घटनाएं भी तेजी से बढ़ने लगती है। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए तरह तरह की यातनाएं जीवों को देते हैं।
मोबाइल एवं अन्य ऐसे टावर से से निकलने वाली विभिन्न ऊर्जा वाली तरंग धैर्य पक्षियों व अन्य जीवों के लिए हानिकारक सिद्धि होती हैं। एवं उनकी विलुप्त होने का एक मुख्य कारण बनती हैं। मोबाइल फोन के नुकसान के अलावा भी अन्य विभिन्न प्रकार के यंत्र व तकनीक है, जिन्हें मनुष्य ने अपने उपयोग के लिए बनाया है, किन्तु इसके नुकसान अन्य जीवों को झेलने पड़ते हैं।
जनसंख्या वृद्धि को रोकने के उपाय
लगातार व तेज गति से बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि को रोकने के लिए –
समाज के प्रतिष्ठित, विद्वान व्यक्तियों एवं स्कूल कॉलेज के शिक्षकों को सुचारू रूप से सभी माता पिता, अभिभावक तथा बच्चों को जनसंख्या वृद्धि से होने वाले नुकसान बताने चाहिए। साथ ही बढ़ती हुई जनसंख्या को कैसे नियंत्रण में लाने के उपाय भी बताएं। ऐसा करने से लोगो को जरूरत से ज्यादा जनसंख्या के नुकसान के विषय में अवेयरनेस मिलेगी, फलस्वरूप समाज के ये सभी व्यक्ति अपनी आवाज सरकार व प्रशासन तक पहुंचा सकेंगे, तब जाकर सरकार जनसंख्या वृद्धि को रोकने का संसद में कानून बनाकर उसे धरातल पर उतरेगी।