आज हमने इस लेख में विभिन्न प्रकार के वायु, जल, ध्वनि, भूमि प्रदूषण के मुख्य कारण(pollution reasons), व इससे होने वाले नुकसान एवं हानियों की चर्चा की है।
पृथ्वी पर मनुष्य की बढ़ती जनसंख्या के कारण दिन प्रतिदिन अच्छे जीवन की सम्भावनायें कम होती जा रही है। विज्ञान के नाम पर बढ़ रहे औद्योगीकरण(Industrialization) ने वायुमंडल, जल एवं भूमि को लगभग पूर्ण रूप से प्रदूषित कर दिया है। प्रदूषित भोजन, जल एवं वायु के कारण बड़े पैमाने पर पशु पक्षियों, जानवरों एवं अन्य जीवों की मृत्यु हो जाती है, प्लास्टिक, रेफरी जनरेटर, पेट्रोल डीजल वाहनों से निकलने वाली जहरीली गैस हवा में मिलकर श्वास द्वारा सभी मनुष्यों के शरीर में जाती है। जिस कारण फेफड़ों के रोग दमा, खांसी, कैंसर, टीबी आदि भयानक बीमारियां समाज में घर कर चुकी है।
प्रदूषण के प्रमुख कारण व हानि
- प्रदूषण के सभी कारणों में सबसे बड़ा कारण मानव है, मनुष्य की लगातार बढ़ती हुई बेलगाम इच्छाओं ने पृथ्वी पर उपस्थित प्राकृतिक संसाधनों का सर्वनाश कर दिया है। अत्यधिक टेक्नोलॉजी के प्रयोग से जीवन का संतुलन बिगड़ चुका है, भौतिकवादी की चपेट में आकर मानव जाति ने जल, थल एवं आकाश सभी को विज्ञान के नाम पर प्रदूषित कर दिया है। परिणाम यह है कि प्रदूषण समस्या अच्छी जीवन को बचाने में प्रमुख बाधा बन रही है।
- प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण लगातार बढ़ती हुई कार, मोटरसाइकिल, बस वाहनों की संख्या से वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर गिर जाना है, जिस कारण वायु की गुणवत्ता में कमी आ चुकी है और यह जहरीली होकर मनुष्यों से लेकर अन्य जीवों के जीवन को नष्ट कर रही है।
- वर्तमान में लग्जरी एवं फैशन के नाम पर लोग दिन प्रतिदिन नई गाड़ियां खरीदते है जिस कारण सड़कों पर अत्यधिक ध्वनि एवं वायु प्रदूषण बढ़ जाता है, और इसका नुकसान अन्य सभी लोगों को उठाना पड़ता है।
- विश्व में सबसे अधिक प्रदूषण समस्या का कारण पश्चिमी सभ्यता है, क्योंकि इसकी वजह से दुनिया में कारखाना व्यवस्था का जन्म हुआ, उद्योगों से लेकर लोगों के घरों तक छोटी-बड़ी प्रकार की मशीनों ने प्राकृतिक संसाधन व्यवस्था को नष्ट कर दिया है। पश्चिमी सभ्यता के कारण ही लम्बे समय से बड़े स्तर पर प्लास्टिक जैसी हानिकारक पदार्थ का प्रयोग दैनिक प्रयोग में किया जाता है। इसके अलावा मोबाइल टावर, एवं न्यूक्लियर रेडिएशन ने भी प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से प्राकृतिक जीवन व्यवस्था को प्रदूषित कर नष्ट कर दिया है।
- मानव जनसंख्या वृद्धि प्रदूषण का एक महत्वपूर्ण कारण है, जरूरत से ज्यादा मानव जनसंख्या अब स्वयं मनुष्यों के लिए ही खतरा बन गई है, न्यूयॉर्क, बीजिंग, दिल्ली, मुंबई आदि बड़े शहरों में जनसंख्या घनत्व बढ़ जाने के कारण लोगो तीव्र ध्वनि गंदी हवा, अशुद्ध जल, एवं सड़कों में कूड़ा आदि प्रदूषण समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिस कारण प्रदूषण से लोगों का जीवन स्तर नीचे गिर गया है और लोगों की सामान्य आयु भी कम हो गई है।
- शहरीकरण के विस्तार के लिए प्राकृतिक स्थानों, वन एवं मैदानी इलाकों को नष्ट किया जाना बढ़ते प्रदूषण का मुख्य कारण है। जिससे पालतू पशु गाय, भैंस, कुत्ते बिल्ली, घोड़ा आदि जानवरों के भोजन एवं निवास की व्यवस्था खत्म हो गई है। जिस कारण अब ये पशु लावारिस की तरह भटकते रहते है और तेज ध्वनि प्रदूषण से जानवर घबरा जाते है और वाहनों के द्वारा दुर्घटना के शिकार हो जाते है।
- आजकल तो भोजन भी प्रदूषण के प्रभाव में आ चुका है, खाद्य पदार्थों में केमिकल प्रयोग करने से भोजन प्रदूषित हो जाता है। इसके अलावा दुकानदार व विक्रेता अधिक मुनाफा कमाने के लिए सब्जियों, फलों, मिठाईयों, दूध, घी एवं मसालों आदि में अशुद्ध पदार्थों की मिलावट करते है, जिससे ये पदार्थ प्रदूषित हो जाते है तथा शरीर को हानि पहुँचाते है।
- अत्यधिक पन्नी(Polythene) प्रयोग चलन के कारण प्रत्येक गली-नुक्कड़ एवं नाली में इसके ढ़ेर मिल जाते है और प्लास्टिक के कण जल में मिल जाने से इसे दूषित कर देते है। इसके अलावा पन्नी प्रदूषण के कारण सभी जगह गंदगी फैल गई है, पालतू जानवर पन्नी को भोजन समझकर खा जाते है जिससे वे बीमार होकर मर जाते है. न तो समाज को और नहीं सरकार को इसकी कोई परवाह है सब अपनी धुन में मस्त है।
- पर्यटकों के पर्यावरण के प्रति असभ्य व्यवहार से जल व भूमि पूर्ण रूप से प्रदूषित हो चुकी है जिस कारण समुद्री स्थानों का मनमोहक दृश्य मनुष्य ने भद्दा कर दिया है। समुद्री किनारो पर पर्यटक बीयर कोल्ड ड्रिंक की बोतल, चिप्स के पैकेट, कागज, डिब्बे आदि बचा कुचा सामान फेंक देते है, जिससे यह वेस्ट सामान समुद्र के जल को प्रदूषित कर देता है और समुद्री जीवों के जीवन में बाधा तथा नष्ट करने में भूमिका निभाता है।
- अत्यधिक मांसाहार प्रयोग के कारण प्रत्येक गली मोहल्ले में नई मांस दुकानें खोली जा रही है, मांस से उत्पन्न गंदी बदबू वायु को प्रदूषित कर देती है जिससे सांस लेने में समस्या आती है. खुले में रखे मृत जानवरों के मांस पर मक्खियाँ भिनकती रहती है जिससे ये आसपास के घरों व दुकानों में घुसकर विभिन्न प्रकार की बीमारिया हैजा, खांसी, उल्टी फैलाती है।
- वर्तमान में कूडा, वायु जल व भूमि प्रदूषण का एक खतरनाक कारण है, लोग अपने घर व दुकान का कूड़ा नगर निगम द्वारा बनाये गये स्थानों पर न डालकर उसे जला देते है जिससे आसपास के वातावरण में कार्बन की मात्रा बढ़ जाती है और वायु प्रदूषित होकर अशुद्ध हो जाती है। बहुत सारे लोग तो कूड़े को नालियों एवं गटर में डाल देते है जिससे सीवर की निकासी जाम हो जाती है और नगर की सड़को पर गंदा पानी फैल जाता है।
- पहाड़ को तोड़कर नये भवन निर्माण किये जाने एवं, नदियों से बड़ी मात्रा में रेत पत्थर खनन किये जाने से प्रकृति प्रदूषित होकर असंतुलित हो गई है और लोगों को अत्यधिक बाढ़ समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है।
उपसंहार
संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण संगठन, WHO, एवं दुनिया के विकसित देश प्रदूषण समस्या पर सिर्फ बातें बनाते है, इन सब संस्थाओं का रोल अब केवल दिखावे तक ही सीमित रह गया है। न तो ये संस्थाएं औद्योगीकरण के कारण प्रकृति को प्रदूषित होने से बचा पाती है न ही लोगों को।
विकसित देशो द्वारा बनाई गई पर्यावरण संस्थाएं मात्र पैसे कमाने व राजनीतिक लाभ प्राप्त करने तक ही सीमित है। वास्तव में विश्व का सबसे ज्यादा प्रदूषण विकसित देश अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, आदि यूरोपीय देशों द्वारा ही किया जाता है, क्योंकि सबसे ज्यादा औद्योगीकरण इन्हीं देशों में होता है। किन्तु गरीब देशों से मुनाफा कमाने के लिए ये देश लगातार कार्बनयुक्त सामान को निर्माण कर वायुमंडल व पृथ्वी को प्रदूषित कर रहे है। लोगों को लगता है कि विश्व में मानव सभ्यता विकास कर रही है, किन्तु वास्तव में मानव सभ्यता का पतन हो रहा है। मानव के जीवन को आरामदायक बनाने के लिए अत्यधिक संसाधन निर्माण से फायदा कम, नुकसान ज्यादा हो गया है। परिणाम यह हुआ कि मनुष्य आलसी, लाचार व बीमार हो गया है।