भारत की खोज के विषय में देश विदेश में विभिन्न प्रकार की भ्रांतियां एवं झूठ फैलाए गये है। जिस कारण सामान्य लोगों को सही जानकारी का अभाव पैदा होता है। कुछ लोग कहते है कि पुर्तगालियों ने भारत की खोज की, कुछ कहते है अंग्रेजों ने की, परंतु सत्य तो यह है कि भारत की खोज किसी भी विदेशी द्वारा नहीं की गई। इस पृथ्वी पर यह देश तो विश्व का सबसे पहला देश है, भारत की सभ्यता एवं संस्कृति देखे तो पता चलता है, कि यह देश कितना समृद्ध और वैज्ञानिक है। प्राचीन काल खंड में विभिन्न विदेशी यात्री भारत आते रहते थे और इस देश की सुंदरता एवं शिक्षा देखकर यहां पर बसना चाहते थे। मुगलो, तुर्को ने तो भारत की समृद्धि से ईर्ष्या कर इसे नष्ट करने की कोशिश की परंतु कर न सके। उसके बाद अंग्रेजों ने यहां पर लम्बे समय तक शासन किया और अपनी सभ्यता स्थापित करने की कोशिश की, परंतु वे भी सफल नहीं हो सके। आज हम संक्षेप में आपको बताते है कि वास्तव में भारत की खोज कैसे हुई और इसकी उत्पित्ति की जड़ कहां बसी है।
भारत की खोज
भारत की खोज(Discovery of India) भारतीय ने की है, पुराने समय में भारत को आर्यावर्त के नाम से जाना जाता था, बाद में इसका नाम भारत पड़ा। भारत विश्व का सबसे प्राचीन देश है. इसकी संस्कृति अन्य सभी देशों व नस्लो से पुरानी है। भारतीय विज्ञान, शास्त्र, योग, ऐतिहासिक भवन, कला कृतियाँ, सभ्यता, आयुर्वेद, अध्यात्म, त्योहार आदि इस बात के प्रमाण है कि भारत सबसे प्राचीन देश है और भारतीय द्वारा ही इसे खोजा गया है। जब विश्व के अन्य देशों का जन्म भी नहीं हुआ था उसके करोड़ों वर्ष पहले से भारतीय लोग सुख शांति भरा संतुलित जीवन व्यतीत करते थे।
प्राचीन मध्य काल में जब आधुनिक जहाज, एयरोप्लेन जैसे यात्रा के साधन उपलब्ध नहीं थे तो पश्चिम व यूरोप के देश भारत के विषय में बहुत कम परिचित थे। बहुत सारे यूरोप देश ऐसे थे जिन्हे ये भी पता नहीं था कि इस पृथ्वी पर कोई अन्य देश अथवा मानव सभ्यता भी है। लगभग 1498 ई में पुर्तगाली यात्री वास्को डा गामा अपनी समुद्री यात्रा करता हुआ भारतीय समुद्री तट गोवा पहुँचा। वहाँ उसने देखा कि भारत तो एक विशाल व समृद्ध देश है, तब उसने वापस जाकर अपने देशवासियों को भारत के बारे में बताया है। वास्को डा गामा व उसके देशवासियों के लिए भारत एक नया देश था, किन्तु वे यह नहीं जानते थी कि भारत तो कई करोड़ों वर्षों से दुनिया का नेतृत्व करता है।
भारतीय शास्त्रों के अनुसार भारत की खोज
भारत की खोज स्वयं ईश्वर ने की इसका प्रथम वर्णन भारतीय शास्त्र एवं ग्रंथों में मिलता है। भारतीय वैदिक सनातन सभ्यता सौ करोड़(1000,000,000) वर्ष से ज्यादा पुरानी सभ्यता है. वेदों ने भारत को आर्य की भूमि कहा है। इसलिए इस देश को आर्यावर्त कहा गया है और शास्त्रों में सनातन शब्द का वर्णन अनेको बार मिलता है। गीता में भगवान कृष्ण ने सनातन शब्द का उपदेश किया है। सृष्टि की उत्पत्ति प्रजापति ब्रह्मा ने भारत से की है. कई हजार साल पुराने रामायण एवं महाभारत के शासन काल इस बात के पुख्ता प्रमाण है कि भारत विश्व का सबसे प्रथम देश है, और यहाँ के लोग वर्षों से सुख शांति भरा जीवन जी रहे है।
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क्या वास्को डा गामा ने भारत की खोज की?
नहीं, बिल्कुल नहीं पुर्तगाली यात्री वास्को डा गामा तो समुद्री यात्रा पर निकला था, लम्बी यात्रा के दौरान उसे दिशा का ज्ञान नहीं रहा और वह भारतीय समुद्री तट पर पहुँच गया। उसे नहीं पता था कि वह कहा है, बाद में भारतीयों से परिचित होने पर उसे पता चला कि यह भूमि भारतवर्ष की है। वास्को डा गामा के लिए यह देश नया था इसलिए बच्चों को स्कूल में पढ़ाया जाता है कि समुद्री यात्री वास्को डा गामा ने भारत की खोज की। किन्तु यह सत्य नहीं है वास्तव में तो पुर्तगाल अथवा यूरोपीय सभ्यता भारत से लम्बे समय पश्चात अस्तित्व में आयी।
1500 ई के आसपास, अंग्रेजी उपनिवेश शासन काल में ब्रिटिश मूल के लोग समस्त विश्व में फैलने लगे, जिसके चलते उन्होंने विभिन्न नयी जगह में अपनी बस्तियाँ बसाई। ब्रिटिश उपनिवेश व्यवस्था के अन्तर्गत बहुत सारे देश तो ऐसे थे जहां पर मानव जाति का अस्तित्व भी नहीं थी। जब यूरोपीय को भारत की संपन्नता के विषय में पता चला तो वे समुद्री मार्ग द्वारा भारत पहुंचे, उन्होंने यहाँ रहकर व्यापार करना शुरू किया। बाद में उनकी नकल पर डच, पुर्तगाली, फ्रेंच आदि नस्ल भारत में आने लगी और यहां पर बस गई। जब इन सभी ने भारत की विशाल प्राचीन सभ्यता, संस्कृति, सुन्दर भवन, कला, भोजन, विज्ञान, अपार धन को देखा तो वे इसकी तरफ आकर्षित हुए और मुनाफा कमाने के लालच में भारतीय को मूर्ख बनाकर लूटने लगे। भारत में जितने भी यूरोपीय, एशियाई आदि यात्री आये उन्होंने अपने देश जाकर भारत के विषय में लोगों को बताया और यहाँ की संस्कृति, विद्या, विज्ञान को अपने देश में ले गये।