दुनिया में मनुष्यों की बढ़ती हुई जनसंख्या स्वंय सभी मनुष्यों एवं अन्य जीवों के नाश का कारण बन गई है। लेकिन मनुष्य इस भयंकर समस्या को तनिक भी समझने को तैयार नहीं हैं। वह अपने स्वार्थ एवं सुख भोगने में लगातार लिप्त हैं। और संसार को अपने वश में करना चाहता हैं।
दुनिया के समृद्ध देश, बुद्धिमान व्यक्ति एवं प्रतिष्ठित व्यक्ति भी जनसंख्या वृद्धि की समस्या को हल्के में ले रही हैं। प्रत्येक व्यक्ति विकास के नाम पर पैसा कमाने के लालच में इतना ज्यादा स्वार्थी हो गया है कि उसे ना तो पर्यावरण के नुकसान से कुछ लेना देना है, ना ही प्राकृतिक संसाधनों के नष्ट होने का कोई अफसोस है।
जनसंख्या वृद्धि के कारण
संसार में जनसंख्या वृद्धि के कारण इस प्रकार है –
युवक व युवतियों का कम आयु में विवाह
समाज, रिश्तेदार व आस पड़ोस के ताने सुनने से बचने के लिए एवं माता पिता अपने बच्चो की शादी ब्याह की जिम्मेदारी जल्दी से पूरा कर अपने को कर्तव्यों से मुक्त होने का भाव के कारण बच्चो का वयस्क अवस्था को प्राप्त होते विवाह करने की जल्दी करते हैं। फलस्वरूप, विवाह दंपत्ति द्वारा जल्दी संतान को जन्म देना सव्भाविक हैं। इस प्रकार जनसंख्या वृद्धि दर तेजी से बढ़ती है।
स्वास्थ्य सेवाओं के विकसित होने से मनुष्य मृत्यु दर में कमी
प्राचीन समय में शिशु मृत्यु दर काफी अधिक थी। इसका बड़ा कारण गर्भवती महिलाओं एवं शिशुओं को पूर्ण स्वास्थ्य सेवाओं व डॉक्टरी इलाज में कमी का होना था। परंतु, वर्तमान समय में मेडिकल साइंस व चिकित्सा पद्धति तकनीक ने अत्यधिक विकास कर लिए है। जिस कारण गर्भवती महिलाओं व छोटे बच्चो को सही समय पर उचित चिकित्सा सेवाएँ साथ ही पर्याप्त आवश्यक भोजन सरलता से उपलब्ध हो जाता है। फलस्वरूप मृत्यु दर को कम होना निश्चित हैं।
समुदाय व्यक्ति संख्या का वर्चस्व एवं प्रतिष्ठा स्थापित करने की सोच
पुरानी कहावत है, कि जिस समुदाय व समाज की संख्या ज्यादा उसी का वर्चस्व होता हैं। मनुष्य जाति स्वभाव से ही स्वार्थी, लालची व ईर्ष्यालु प्रवृत्ति की होती हैं। प्रत्येक व्यक्ति अपने आप को बुद्धिमान, श्रेष्ठ व होशियार समझता है, इसलिए दूसरे व्यक्तियों पर अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहता हैं। यह धारण पूरे पारिवारिक स्तर स्थापित हो जाती हैं। इस प्रकार के व्यक्ति चाहते है कि उसके परिवार व उनकी विचारधारा के व्यक्ति ही सभी उपयोगी, उच्चतम व शक्तिशाली पदों एवं स्थानों पर विराजमान हो। उसका फल यह होता है कि समाज के विभिन्न समुदायों के बीच प्रतिस्पर्धा की दरार पड़ जाती हैं।
समाज के कई समुदाय अपने वर्चस्व को कायम करने के लिए शीघ्र विवाह एवं एक से ज्यादा शादी करने की प्रथा स्थापित करते हैं। जिससे अधिक से अधिक बच्चों को जन्म दिया जा सके। परंतु वर्तमान में इस प्रथा में कुछ कमी आई हैं, क्योंकि महंगाई दर में वृद्धि व रहने के लिए भूमि उपलब्ध न होना एक बड़ा कारण बन गया हैं।
राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परिवार नियोजन कानून का ना होना
परिवार नियोजन कानून की कमी के कारण, तेजी से बढ़ती हुई मानव जनसंख्या का एक मुख्य कारण सभी देशों की राष्ट्रीय सरकारे व मानव कल्याण अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं द्वारा बाढ़ की तरह बढ़ती हुई आबादी के कारण प्राकृतिक संसाधनों का तेजी से नष्ट होना एवं इससे होने वाली हानियों की तरफ कोई विशेष ध्यान ना देना हैं, जो कि जनसंख्या वृद्धि दर की एक भयंकर भूल साबित हुई हैं।
गरीबी व अशिक्षा
गरीबी व अशिक्षा जनसंख्या वृद्धि का एक मुख्य कारण इसलिए है क्योंकि, सच्ची शिक्षा जीवन को सुखद व उपयोगी बना देती हैं। व्यक्ति को समय पर उचित शिक्षा का ना मिलना उसके नाश व अज्ञानता का कारण बनती हैं। फलस्वरूप बेरोजगारी, समय पर व्यवसाय का ना मिलना एवं उचित आय में कमी के कारण गरीबी का जन्म होता है।
गरीब व अनपढ़ व्यक्ति का बौद्धिक स्तर बहुत कम व निम्न होता हैं। वह अन्य जीवों की तरह खाने, सोने व प्रजनन करने तक ही सीमित रह जाता हैं। गरीब व्यक्ति परिवार नियोजन शिक्षा का ज्ञान ना होने के कारण ज्यादा बच्चे पैदा तो कर लेता है परंतु कम आय के कारण अपने बच्चों का पर्याप्त भरण पोषण, शिक्षा एवं अन्य सुविधाएं पूर्ण रूप से नहीं उपलब्ध करा पाता हैं। इसलिए संसार में अशिक्षा एवं अज्ञानता के कारण गरीबों की संख्या संपन्न लोगों से कई अधिक हैं।
जनसंख्या वृद्धि के प्रभाव
संसार के वे सभी देश जिनमें लगातार बढ़ती हुई जनसंख्या वृद्धि दर एक गंभीर समस्या हैं। वे इसकी चपेट में इस तरह ग्रस्त है कि इससे उबरना आसान कार्य नहीं। जनसंख्या वृद्धि के कारण पर्याप्त भोजन की कमी, शुद्ध वायु की समस्या के साथ पीने योग्य मीठे जल की अल्पता, रहने के लिए आवश्यक भूमि व खुला हवादार घर की अपर्याप्तता आदि की समस्या उत्पन्न हो गई है। इसके अलावा अत्यधिक जनसंख्या घनत्व के कारण जंगलो व वृक्षो का कटाव होने एवं एअर कंडिशनर, फ्रिज, प्लास्टिक, पेट्रोल आदि से निकले वाली जहरीली गैसों से पृथ्वी पर्यावरण तापमान में वृद्धि होने से अत्यधिक गर्मी की समस्या उत्पन्न हो गयी है।
- जनसंख्या घनत्व में वृद्धि के कारण रहने व अन्न उत्पादन के लिए भूमि की कमी।
- अधिक जनसंख्या होने से कूड़े कचरे, शोर-शराबे व गंदगी में बढ़ोतरी।
- वाहनो व मोटर गाड़ियों की संख्या में तेजी से उछाल एवं इसकी कारण रोड़ एक्सीडेंट व ट्रैफिक जाम की समस्या।
- वायु में जहरीली गैसों के अनुपात में वृद्धि होने जाने के कारण वायु शुद्धता व गुणवत्ता में कमी होने से श्वास रोग के स्तर में बढ़ोतरी।