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On Page SEO Kya Hai : कैसे करे सम्पूर्ण जानकारी

On Page SEO in Hindi

On Page SEO: वेबसाइट इनसाइड ऑप्टिमाइजेशन की एक विधि है। इसके द्वारा सर्च इंजन के नियमों को ध्यान में रखकर साइट-स्ट्रक्चर के साथ कंटेंट को ऑप्टिमाइज किया जाता है। जिसमें मेटा टैग्स, वेब स्पीड और मोबाइल पेज ऑप्टिमाइजेशन को बेहतर बनाते है। ताकि यूजर को अच्छा कंटेंट प्रस्तुत किया जा सके।

कंटेंट Readability को बेहतर रूप देने के लिए ऑन पेज एसईओ तकनीक प्रयोग में लायी जाती है। मेटा टाइटल व डिस्क्रिप्शन राइटिंग ऑन पेज के सबसे प्रमुख अंग है। क्योंकि इनके आधार पर ही सर्च इंजन क्राउलर किसी वेबसाइट डाटा को पहचानता है। 

On Page SEO Kaise Kare

ऑन पेज एसईओ करने के लिए वेबसाइट ऑडिट करना आना चाहिए। सबसे पहले वेबसाइट  गूगल सर्च कंसोल और एनालिटिक्स को सेट कर ले। साइट मैप बनाकर सर्च कंसोल में जमा कर दे। अब वेबसाइट मेटा टैग्स चेक करे। कीवर्ड के अनुसार कंटेंट की क्वालिटी को बारीकी से अध्ययन कर ले। इसके पश्चात url स्ट्रक्चर, इमेज और ग्रामर को ऑप्टिमाइज करें। ध्यान रहे कि मोबाइल फ्रेंड्लीनेस पर फोकस करना अति आवश्यक है,क्योंकि मोबाइल यूजर्स की संख्या डेस्कटॉप यूजर्स के मुकाबले ज्यादा होती है। 

प्रमुख ऑन पेज एसईओ तकनीक

गूगल सर्च कंसोल टूल सेट एप

ऑन पेज एसईओ करने के लिए सबसे पहले वेबसाइट url के सभी वर्जन को गूगल सर्च कंसोल से जोड़ ले, ताकि सर्च रोबोट वेबसाइट को फेच कर इंडेक्स कर ले। सर्च कंसोल टूल वेबसाइट बिहेवियर का आकाडा डिटेल में प्रदर्शित करता है। क्राउलर वेबसाइट और उसके कंटेंट के साथ कैसा व्यवहार कर रहा इसकी जानकारी सर्च कंसोल टूल से मिलती है।

गूगल सर्च कंसोल टूल के फायदे

  • कम्पलीट वेबसाइट कंटेंट इंडेक्स
  • वेबसाइट विसिबिलिटी इंप्रूवर
  • वेबसाइट अपलोडिंग स्पीड गाइडर
  • वेबसाइट परफॉर्मेंस डाटा स्टेटिस्टिक्स- कीवर्ड, पेज, डिवाइस, लोकेशन, इम्प्रेशन, क्लिक आदि 
  • मोबाइल यजेबिलिटी
  • पेज एक्सपीरियंस इनसाइट्स
  • वेबसाइट एरर डिटेक्टर, आदि।

गूगल एनालिटिक्स सेट एप

गूगल एनालिटिक्स टूल का प्रयोग वेबसाइट पर यूजर गतिविधियों को जानने के लिए किया जाता है। यह टूल यूजर की लोकेशन, डिवाइस, लैंडिंग पेज, टाइम, आदि की महत्वपूर्ण जानकारी देने में समर्थ है। इस टूल के द्वारा रीयल टाइम यूजर की पहचान की जा सकती है। वेबसाइट पर ऑर्गेनिक अथवा अनऑर्गेनिक ट्रैफिक का हिसाब यह टूल निपुणता से बताता है। गूगल एनालिटिक्स का प्रयोग करके, हम वेबसाइट कंटेंट को बेस्ट तरीके से ऑप्टिमाइज कर सकते है। 

गूगल एनालिटिक्स टूल के फायदे-

  • ट्रैफिक स्त्रोत का पता चलता है।
  • यूजर्स की ज्योग्राफिकल लोकेशन जानकारी
  • लैंडिंग पेज, टाइम सेशन, टोटल विजिटर्स
  • पुराने व नये यूजर इंगेजमेंट स्टैटिक्स
  • लाइव यूजर्स डाटा
  • वेबसाइट विसिटर्स का कम्पलीट Overview 

साइट मैप क्रिएशन

साइट मैप का उपयोग क्राउलर को वेबसाइट यूआरएल की सभी जानकारियां प्रस्तुत करना होता है। कोई भी सर्च इंजन क्राउलर, साइट मैप के माध्यम से वेबसाइट डाटा को फेच कर इन्डेक्स करते है। XML साइट बनाकर उसे सर्च कंसोल टूल में जमा कर देते है। इसी के द्वारा सर्च इंजन वेबसाइट डाटा को हमें दिखाता है।

साइट मैप का फायदा-

  • जब क्राउलर वेबसाइट पर आता है तो, उसे सारा डाटा की सूचना एक ही जगह मिल जाती है।
  • इसके द्वारा सर्च इंजन रोबोट वेबसाइट URLs को फेच करता है।
  • साइट मैप कंटेंट को क्राउल द्वारा इंडेक्स करने में सहायता देता है।
  • नये डाटा की सूचना सर्च इंजन क्राउलर को देता है।

किसी वेबसाइट का साइट मैप चैक करने के लिए कमांड- वेबसाइट url/sitemap.xml

रोबोट टेक्स्ट फाइल सेट एप

रोबोट टेक्स्ट फाइल का कार्य सर्च इंजन इंडेक्सिंग से है। यह दो प्रकार की होती है। पहला क्राउलर को इंडेक्सिंग के लिए अलाउ(allow) और दूसरा डिसएलाऊ करना। कॉन्फिडेन्शियल इन्फॉर्मेशन को छिपाने के लिए डिसएलाऊ रोबोट टेक्स्ट फाइल का प्रयोग किया जाता है। इस फाइल को सी-पेनल अथवा Header.php के Head में कनेक्ट करते है।

  • वेबसाइट में रोबोट फाइल चेक करने के लिए- वेबसाइट url/robots.txt
  • वेबसाइट पर रोबोट फाइल लगाने का फार्मूला-

          User-agent: *

          allow:

          Disallow:

की-वर्ड मैपिंग

किसी भी वेबसाइट के लिए कंटेंट लिखने से पहले सही कीवर्ड रिसर्च बहुत जरूरी है। क्योंकि कीवर्ड ही वेबसाइट ट्रैफिक को निर्धारित करते है। गलत कीवर्ड सिलेक्शन हमारे कार्य को हानि पहुंचा सकता है। या यू कहे कि गलत कीवर्ड से हम अपना लक्ष्य पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं कर सकते है। 

ऑन पेज एएसई में सबसे पहला कार्य यह निर्धारित करना होता है कि हमें कौन से कीवर्ड पर वेबसाइट को रैंक करना है। इसके पश्चात अन्य स्टेप लिये जाते है। कंटेंट में कीवर्ड Density 1 से 2% परफेक्ट होती है। हेडिंग टैग में कीवर्ड का प्रयोग करें। इसके अलावा मेटा टाइटल में टारगेट कीवर्ड अवश्य ADD होना चाहिए। वैसे सर्च इंजन अपने आप किसी कीवर्ड को टाइटल रूप दे सकता है।

मेटा टाइटल और डिस्क्रिप्शन राइटिंग

सर्च इंजन को वेबसाइट कंटेंट की जानकारी देने के लिए मेटा टाइटल और डिस्क्रिप्शन की आवश्यकता होती है। तब जाकर सर्च इंजन SERP में बेवसाइट को प्रदर्शित करता है। जब कोई यूजर किसी कीवर्ड पर कोई जानकारी सर्च करता है,तो सर्च इंजन मेटा टाइटल और डिस्क्रिप्शन के आधार वेबसाइट की सूची यूजर को प्रस्तुत करता है। 

गूगल के अनुसार बेस्ट मेटा टाइटल precise and descriptive होना चाहिए, अर्थात टाइटल ज्यादा लंबा नहीं होना चाहिए। कम शब्दों में अपनी बात को explain करना आना आवश्यक है। ज्यादा लम्बे टाइटल कन्फ्यूजन पैदा करता है। टाइटल की लेंथ 60 character और डिस्क्रिप्शन 160 character तक अच्छा रहता है।

बेस्ट मेटा टाइटल उदाहरण-

  • <title>Brand Name : Online Education Hub</title>
  • <title>Brand Name, Best Kids Clothes Near Me</title>
  • <title>How to Invest in Business | Best Business Tips</title>

ऑल्ट टैग्स फॉर इमेज

इमेज ऑर्गेनिक ट्रैफिक का एक बड़ा सार्स है। इमेज में जानकारियों को समझना अत्यंत सरल है। इसलिए लोग इन्फॉर्मेशन को इमेज में देखना पसंद करते है। सर्च इंजन को इमेज व्यक्तियों की तरह समझ नहीं आती है। इसलिए वह Alt टैग(Alternative Text) के माध्यम से इमेज को समझता है। ऑल्ट टैग लिखकर हम सर्च इंजन को इमेज के बारे में बता सकते है, और इमेज का उद्देश्य बता सकते है। जब इंटरनेट स्पीड के कारण कोई इमेज सही से अपलोड नहीं होती तो सर्च इंजन हमे ऑल्ट टैग द्वारा इमेज की जानकारी दिखाता है। Moz ब्लॉग के अनुसार 125 कैरेक्टर तक alt टैग लिखना सही रहता है। 

Alt Text लिखने के लिए उदाहरण-

ठीक तरीका:      < img src=”image url”  alt= “Best On Page” >   

अच्छा तरीका:    <img src=”image url” alt=”Best On Page Checklist”>

बेस्ट तरीका:      <img src=”image url” alt=”Best On page Checklist in Hindi”>

मोबाइल फ्रेंडली टेस्ट

वर्तमान में डेस्कटॉप की अपेक्षा मोबाइल फोन ज्यादा सरल और यूजर फ्रेंडली है। इसलिए मोबाइल यूजर्स की संख्या अधिक है। ऑन पेज एसईओ में मोबाइल फ्रेंडली टेस्ट करना जरूरी है। इसमें विभिन्न मोबाइल वर्जन के लिए वेबसाइट रेस्पॉन्सिव होनी चाहिए। वेबसाइट अपलोडिंग स्पीड, कंटेंट व्यू यूजर की सुविधा के अनुसार ऑप्टिमाइज करें। चेक करने के लिए गूगल मोबाइल टेस्ट टूल यूज कर सकते है। 

AMP टेस्ट

On page SEO करते समय एएमपी मोबाइल टेस्ट करना महत्वपूर्ण माना जाता है। इसका लाभ यह है कि सर्च इंजन वेबसाइट के फास्ट वर्जन को अपने पास सेव रखता है। जब कोई यूजर वेबसाइट खोलता है तो वह तेजी से 2-3 सेकंड में अपलोड हो जाती है। ऐसी वेबसाइट को यूजर पसंद करते है। इसलिए सर्च इंजन फास्ट स्पीड साइट को वरीयता देता है। AMP सेट करने के लिए गूगल  AMP टूल की सहायता ले सकते है। वर्डप्रेस साइट में एएमपी को प्लग्नि द्वार सरलता से जोड सकते है।

AMP के लाभ

  • वेबसाइट फास्ट ओपन होती है।
  • स्पीड की वजह से Click Through Rate बढ़ता है।
  • सर्च इंजन SERP रैंकिंग को इम्प्रूवमेंट देता है।

कंटेंट पठनीयता(Content Readability)

ऑन पेज करते समय कंटेंट रीडेबिलिटी का सही होना महत्वपूर्ण स्टेप है। पूरा एसईओ तकनीक कंटेंट के ऊपर ही निर्भर है। इसलिए कंटेंट को यूजर के लिए सरल बना देना ही ऑन पेज एसईओ का लक्ष्य है। अगर क्वालिटी मेंटेन करने के लिए कंटेंट को rewrite करना पडे तो कर ले। 

सेन्टेन्स लेन्थ

सेन्टेन्स लेन्थ पढ़ने और समझने को सीधे रूप से प्रभावित करती है। ज्यादा लंबे वाक्य लोगो को कम समझ में आते है। या यूँ कहिए कि लंबे वाक्यों का पूर्ण अर्थ समझने में परफेक्शन नहीं आता है। वही दूसरी ओर छोटे वाक्य तुरंत समझ में आ जाते है। छोटे वाक्यों को समझना और याद रखना बहुत सरल होता है। इसलिए कोशिश करे कि यूजर को छोटे वाक्यों द्वारा अपनी बात को समझाये। लोग पोइन्ट में समझना पसंद करते है इसलिए पोइन्ट लेखन शैली को कंटेंट में जोडे। 

कोर वेब वाइटल(Core Web Vitals Test)

कोर वेब वाइटल एक वेबसाइट रैंकिंग फैक्टर है। इसके द्वारा सर्च कंसोल टूल वेबसाइट के मोबाइल और डेस्कटॉप वर्जन आंकड़े प्रस्तुत करता है। जिसमें वह Poor, Need Improvement और Good तीन तरह के URL स्टेटस दिखाता है। कोर वेब वाइटल में ये सभी आंकड़े स्पीड इंडीकेटर्स होते है। इनके नाम इस प्रकार है-

  • First Contentful Paint (FCP)
  • First Input Delay (FID)
  • Largest Contentful Paint (LCP)
  • Cumulative Layout Shift (CLS) 

इंटरनल लिंक

इंटरनल लिंक एक प्रकार का रेफेरेंस लिंक होता है। ऑन पेज एसईओ करते समय इंटरनल लिंकिंग का खास ध्यान रखना पड़ता है। यह तकनीक वेबसाइट के रिलेवेंट टॉपिक अथवा पेज को कनेक्ट करने के लिए उपयोग में लायी जाती है। यूजर को एक ही विषय के अन्य कंटेंट के बारे में सूचित करना इंटरनल लिंक के द्वारा किया जाता है। लिंक को readable बनाने के लिए Anchor टेक्स्ट का प्रयोग किया जाता है।

इंटरनल लिंक दूसरे URLs की अथॉरिटी बढाने में सहायक भूमिका निभाता है। लेकिन एक पेज पर बहुत ज्यादा इंटरनल लगाना उचित नहीं है।  

इंटरनल लिंक के लाभ

  • पेज व्यू में वृद्धि होती है।
  • वेबसाइट इंगेजमेंट टाइम में वृद्धि होती है।
  • Click Through Rate में वृद्धि होती है।
  • यूजर्स को वेबसाइट के गहराई में ले जाता है। जिससे यूजर्स अधिक समय तक वेबसाइट पर बना रहता है।
  • रिलेवेंट आर्टिकल पर ट्रैफिक वृद्धि होती है।

एक्सटर्नल लिंक

जब हम किसी बाहरी सॉर्स का उदाहरण देकर अपनी बात को दूसरे व्यक्ति को समझाते है। तब हमें एक्सटर्नल लिंक का प्रयोग करना पडता है। ऐसा करने से सर्च इंजन की दृष्टि में वेबसाइट की इम्पॉर्टेन्स बढ़ती है। यूजर के लिए एक्सटर्नल लिंक से दूसरी वेबसाइट पर जाना हेल्पफुल होता है। क्योंकि इससे यूजर्स को जो जानकारी वह ढूंढ रहा है उसे एक्सटर्नल लिंक द्वारा सलाह की जाती है। दूसरे शब्दों में किसी प्रसिद्ध व्यक्ति अथवा वस्तु का उदाहरण एक्सटर्नल लिंक के द्वारा दिया जाता है।  

एंकर टेक्स्ट

वेबसाइट के एक पोस्ट अथवा पेज से यूजर्स को दूसरे पोस्ट पर रेफर करने के लिए एंकर टेक्स्ट का प्रयोग किया जाता है। सभी कंटेंट में डायरेक्ट यूआरएल लगाना एसईओ के अनुसार सही नहीं होता, क्योंकि बहुत सारे यूआरएल स्ट्रक्चर लोगों के समझ नही आते है। इसलिए यूआरएल को रीडेबल बनाने के लिए एंकर टेक्स्ट लिख देते है। एंकर टेक्स्ट में हम सुंदर सा टाइट लिख सकते है। एंकर टेक्स्ट इंटरनल और एक्सटर्नल लिंक में होता है। एंकर टेक्स्ट में फालतू के वर्ड नहीं होने चाहिए। केवल उतने ही वर्ड जोड़े जिससे यूजर्स को टॉपिक के बारे में समझ आ जाये।

अन्य ऑन पेज एसईओ चेकलिस्ट

  • Schema Markup ऑप्टिमाइजेशन
  • Frequently Asked Questions(FAQs) ऑप्टिमाइजेशन
  • 404 स्टेटस पेज बनाना
  • HTTPS स्टेटस कोड सेटिंग
  • वेबसाइट Favicon लगाना
  • ग्रामर एरर रिमूव करना
  • URL स्ट्रक्चर ऑप्टिमाइजेशन
  • Canonical Tag सेट करना
  • होस्टिंग error 502 ठीक करना
  • Page Redirect ऑप्टिमाइजेशन
  • डुप्लीकेट कंटेंट ऑप्टिमाइजेशन 
  • CDN(Content Delivery Network) ऑप्टिमाइजेशन

यह भी पढ़े-

Search Engine Optimization Kya Hai

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