गाय(Cow) एक अत्यंत बुद्धिमान, शांत एवं संवेदनशील शाकाहारी पालतू जानवर है। इसके गुण मनुष्य जाति से मिलते है. गाय का चरित्र बहुत ही लुभावना, सुशील एवं मासूम होता है। गाय के बच्चों को बछडा एवं बछड़ी कहते है। सनातन धर्म में गाय को सभी जानवरों में सर्वश्रेष्ठ स्थान दिया है, इसके उत्तम गुणों के कारण भारतीय गाय को माता कहकर पुकारते है। वेदों में गाय का विशेष वर्णन है, वेद कहता है कि यदि कि अगर गाय की रक्षा के लिए युद्ध करने पड़े तो अवश्य युद्ध करें।
सभी खाद्य पदार्थों में गाय का घी सर्व शक्तिशाली माना गया है. जो व्यक्ति गाय का घी खाता है उसके शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कई गुना बढ़ जाती है और शरीर बलवान होकर निरोगी रहता है। भारतीय ऋषि मुनियों ने योग अनुभव द्वारा गाय के गुणों की श्रेष्ठता का समझा तथा शास्त्रों में उल्लेख किया। इन शास्त्र ने मनुष्य के स्वस्थ व निरोगी जीवन जीने के लिए गाय के दूध, गोबर एवं मूत्र प्रयोग के अनेक लाभों को बताया है।
महाभारत काल में भगवान श्री कृष्ण को गाय सबसे अधिक प्रिय थी इसलिए उन्हे ग्वाला अर्थात गो वाला भी कहा गया है। आयुर्वेद विज्ञान में गाय के दूध व घी को सर्वोत्तम आहार में रखा गया है, यदि छोटे शिशु को माता का दूध उपलब्ध न तो उसे गाय का दूध लम्बे समय तक पिलाया जा सकता है।
गाय का शारीरिक वर्णन
गाय एक सुन्दर शाकाहारी जानवर है जिसका एक मुंह, चार पैर व एक पूंछ होती है, इसके सिर पर दो सींग होती है। गाय के चार थन होते है जिससे वह अपने बच्चे को दूध पिलाती है, एवं लोगों को दूध भी देती है। गाय के चारो पैरो में मजबूत खुर(नाखून) लगे रहते है, ये खुर इसकी चलने में सहायता करते है, इसके अलावा खुर ईंट, पत्थर, कांटे, कंकड़ आदि से पैरो की रक्षा करते है। गाय की एक लम्बी पूंछ होती है जिसमें नीचे की ओर बालो का गुच्छा होता है। पूंछ की सहायता से यह अपने शरीर के पिछले हिस्से पर बैठने वाले कीट पतंग हटा देती है। गाय श्वेत, काले, भूरे आदि रंगों की होती है। गाय का बछड़ा बड़ा होकर सांड अथवा बैल बनता है, एवं बछड़ी बड़ी होकर एक नई गाय बन जाती है।
गाय के गुण, लाभ
- भारत देश में गाय की विशेष महिमा देखने को मिलती है, यहां का सनातन समाज गाय को माता कहकर बुलाता है. एवं इसकी पूजा अर्चना करता है। शास्त्रों में गाय रक्षा को परम धर्म बताया गया है, शास्त्र कहता है कि यदि कोई व्यक्ति यज्ञ कर रहा हो एवं उसके सामने किसी गाय पर अत्याचार हो रहा हो तो उस व्यक्ति को तुरंत यज्ञ छोड़कर गाय की रक्षा करनी चाहिए।
- स्वभाव से गाय अत्यंत शांत होती है, अपनी श्रेष्ठ बुद्धि के कारण यह मनुष्यों के भावों को समझने में सक्षम है। इसलिए यह सभी मनुष्यों को प्यार करती है।
- अपनी तीव्र बुद्धिमत्ता के कारण गाय किसी भी व्यक्ति को बेवजह परेशान नहीं करती है। गाय का दूध एवं घी पीले रंग का होता है, गाय का दूध भैंस के दूध से अधिक अच्छा होता है।
- गाय के दूध में विशेष प्रकार के लाभकारी तत्व कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन डी आदि पाये जाते है, जो सभी मनुष्यों के शारीरिक विकास के लिए अत्यंत लाभदायक है।
- गाय के दूध से विभिन्न प्रकार के खाद्य पदार्थ घी, दही, छाछ, मावा, पनीर आदि बनाये जाते है।
- गाय का गोबर अन्य पशुओं की अपेक्षा अच्छी गुणवत्ता वाला होता है, इसके गोबर का प्रयोग ईंधन के रूप में घरों में किया जाता है। ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं अपने घरों के कच्चे आंगन में गोबर का लेप करती है। गोबर का यह लेप कीटनाशक के रूप में कार्य करता है तथा बैक्टीरिया, कीड़े-मकोड़े आदि से मनुष्य का बचाव करता है।
- गाय के गोबर से उत्तम क्वालिटी का खाद(fertilizer) तैयार किया जाता है, इस खाद को किसान खेत में फसल पैदा करने लिए प्रयोग करते है।
- इसके अलावा गाय के गोबर को एक विशाल कुँए में जमा करके ज्वलित गैस का निर्माण करते है. इस गैस को गोबर गैस कहते है तथा इसका प्रयोग घरों में भोजन पकाने के लिए घरेलू व स्वच्छ ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाता है।
- आयुर्वेद में गोमूत्र को औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है. किसी रोगी को गोमूत्र कुछ समय के लिये पिला दिया जाये तो उसके शरीर में कफ, पित्त एवं वात रोगों का नाश हो जाता है तथा शरीर की शुद्धि हो जाती है।
- महिलाए नवजात शिशु को स्तनपान के स्थान गाय का दूध पिला सकती है। यहां तक अन्य जानवर कुत्ता, बिल्ली आदि के बच्चे भी गाय का दूध पी सकते है।
सनातन(हिन्दू) धर्म में गाय का वर्णन
प्राचीन भारतीयों ने गाय के जीवनदायिनी गुणों के कारण इसे माँ का स्थान दिया है, सभी हिन्दू गाय को गौ माता कहकर बुलाते है। गाय एक पवित्र जीव है जो सुख व समृद्धि का प्रतीक है। गाय का दर्शन मात्र से मन को प्रसन्नता का अनुभव होता है, स्वप्न में गाय का दिखना शुभ संकेत माना जाता है। सनातन धर्म में गौ उत्पीड़न व गौ हत्या घोर अपराध माना जाता है। वेदों ने सनातन समाज को गाय की रक्षा करने का आदेश दिया है। इसलिए सनातनी लोग गाय की रक्षा एवं आराधना करते है, हिन्दू घरों में भोजन की पहली रोटी गाय माता को खिलायी जाती है।
ऋग्वेद में ईश्वर ने सभी मनुष्यों को गाय की रक्षा का आदेश दिया है
“माता रूद्राणां दुहिता वसूनां, स्वसादित्यानाममृतस्य नाभिः।
प्र नु वोचं चिकितुषे जनाय, मा गामनागामदितिं वधिष्ट।।” ऋग्वेद- 8.101.15
ईश्वर वेद के माध्यम से मनुष्य को आदेश कर रहे है कि, हे चेतना वाले सभी मनुष्यों निरपराध अदिति गौ(गाय) को कभी मत मार, कभी भी इस पर अत्याचार मत कर। क्योंकि यह गाय रूद्र देवों की माता, वसु देवों की कन्या और आदित्य देवों की बहन है तथा अमृत(अमरपन) का केन्द्र है। इसलिए इसकी सदैव सम्मान व रक्षा करों।
गाय के घी को सबसे शक्तिशाली खाद्य प्रदार्थ कहा गया है
वेदों में गाय के गुणों का वर्णन करते हुए इसके दूध से निर्मित खाद्य पदार्थों की श्रेष्ठता का उल्लेख देखने को मिलता है। मनुष्यों के लिए गाय के दूध को सर्वश्रेष्ठ भोजन की सूची में रखा गया है, क्योंकि यह बुद्धि को बढ़ाने वाला होता है, इसलिए गाय के दूध को पीकर मनुष्य बुद्धिमान व शक्तिशाली होते है। भगवान कृष्ण को गाय से अति प्रेम था और वे गाय के दूध से निर्मित माखन को अत्यधिक पसंद करते थे। परंतु, गाय के दूध से उत्तम है गाय का घी(घृत) इसका लगातार सेवन करने से शरीर में शक्ति तथा स्फूर्ति का संचार होता है। भोजन में गाय का घी डालकर खाने में स्वादिष्ट स्वाद उत्पन्न हो जाता है।