वैसे तो ईश्वर के अनेक नाम है, किन्तु ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम ओम है। इसका प्रमाण यजुर्वेद के मंत्र संख्या 40.17 में देखने को मिलता है। जिसमें स्वयं ईश्वर ने स्वयं अपना नाम हमें बताया है, ईश्वर वेद के माध्यम से कहता है “ ओ३म् खं ब्रह्म॑ ” अर्थात मेरा निज नाम ओम है, और मै आकाश के समान व्यापक ब्रह्म हूँ। इसलिए ओम नाम को ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ नाम माना जाता है। यह नाम तीन शब्दों (ओ + ३ + म्) से मिलकर बना है जिसका अर्थ है विराट, अग्नि, विश्व, हिरण्यगर्भ, वायु, तेजस, आदित्य, प्रज्ञा आदि। सभी मंत्रो के पूर्व ओम शब्द जोड़कर उच्चारण करने का विधान है, परंतु केवल ओम् नाम का जप कर के भी ईश्वर की स्तुति की जा सकती है, यह सबसे अधिक शक्तिशाली शब्द है, ओंकार ध्वनि से साधक योगाभ्यास द्वारा समाधि को प्राप्त करते है। योग शास्त्र में ओंकार उच्चारण करके विभिन्न प्रकार के प्राणायाम किये जाते है, जिनमे से भ्रामरी व उद्गीत एक है।
ईश्वर के अन्य नाम
गुणों के आधार पर ईश्वर के अनेक नाम वेद आदि शास्त्रों में देखने को मिलते है। इनमें से कुछ नाम इस प्रकार है।
सर्वव्यापी
ईश्वर इस सृष्टि के बाहर व भीतर प्रत्येक जगह विद्यमान है, या यू कहे कि यह समस्त ब्रह्माण्ड ईश्वर के भीतर समाया है. इसलिए ईश्वर को सर्वव्यापी नाम से जाना जाता है। ईश्वर के अलावा यह नाम किसी ओर का नहीं हो सकता है।
सर्वज्ञाता
ईश्वर सर्वव्यापक है, अथार्त वह प्रत्येक जगह पहले से ही विद्यमान है, ऐसी कोई जगह नहीं जहां व न हो। इसलिए ईश्वर को सर्वज्ञाता नाम से जाना जाता है. मतलब जो सब कुछ जानता हो। सर्वव्यापक होने के कारण ही वह सर्वज्ञाता है।
रूद्र
जो दुष्टों व बुरे व्यक्तियों को दंड देने वाला व उनके पापों की सजा देने वाला है, वह ईश्वर रूद्र नाम से जाना जाता है।
शिव
ईश्वर मंगलकारी व कल्याणकारी है, इसलिए उसे शिव नाम से बुलाया जाता है।
ब्रह्मा
ब्रह्मा का अर्थ होता है, रचना व उत्पत्ति करने वाला, ईश्वर इस समस्त जगत व अन्य सभी सृष्टियों की रचना करने वाला है, इसलिए उसे ब्रह्मा के नाम से जाना जाता है।
इन्द्र
इन्द्र का अर्थ होता है, जो परम ऐश्वर्य का स्वामी है। इसलिए ईश्वर का एक नाम इन्द्र है।
पुरुष
ईश्वर अपने आप में पूर्ण है, इसलिए उसे पुरुष नाम से भी जाना जाता है। हालांकि आत्मा व प्रकृति को भी पुरुष नाम से जाना जाता है। किन्तु संस्कृत में एक शब्द के कई अर्थ हो सकते है।
प्रजापति
ईश्वर सभी जीवो, पदार्थ तथा ब्रह्मांड का स्वामी है उसी की इच्छा से संसार में सब कुछ घटित हो रहा है। इसलिए उसे प्रजापति के नाम से जाना जाता है। अर्थात प्रजा का स्वामी।
सर्वरक्षक
वह ईश्वर सभी की रक्षा करने वाला है. जो कोई उसकी स्तुति करता है, वह सदैव उसकी रक्षा करता है। इसलिए उसका एक नाम सर्वरक्षक है।