ध्यान करने की परम्परा का जन्म प्राचीन भारतीय संस्कृति में मिलता हैं। भारतवर्ष ही ध्यान व योग की जननी हैं। भारतीय शास्त्रो में ध्यान करने के लाभ एवं इन्हे करने के सही तरीके बताये गये हैं।
ध्यान योग करने से व्यक्ति का मस्तिष्क तेज(sharp) होकर उसकी स्मरण शक्ति को बढ़ा देता हैं। ध्यान से समाधि सिद्ध होती है, जो आत्मज्ञान व मोक्ष को प्राप्त होकर ईश्वर का साक्षातार करने में सहायता प्रदान करती हैं।
सामान्य मनुष्यो के लिए dhyan karne ke fayde- प्रतिदन 10-15 मिनट तक ध्यानासन मुद्रा में बैठकर ध्यान करने से मानसिक अवसाद, सरदर्द, टेनशन को दूर कर शांति प्रदान करता हैं।
ध्यान का अर्थ – भारतीय शास्त्रो में ध्यान का अर्थ है, स्वंय के शरीर व इंद्रियों पर नियंत्रण पाकर इसे अपने वश मे कर लेना है। ध्यान, योग शास्त्र का एकं विशेष अंग है, जिसके द्वारा लालच, ईष्या, क्रोध एवं कामवसाना पर नियत्रंण पाकर मन को निर्विचार और निरोगी कर- समाधि अवस्था में पहुँचना और ईश्वर का साक्षातार कर मोक्ष को प्राप्त करना हैं।
योग दर्शन कहता हैं – “योगश्चित्तवृत्ति निरोधः” (योग दर्शन 1/2)
अर्थात्, योग द्वारा चित्त(शरीर) की वृत्तियों(इंद्रियाँ द्वारा) को रोककर, उन पर अंकुश लगाकर शरीर को निरोध(निरोगी व स्वस्थ) बना देता हैं। योग से ध्यान करने में सरलता आ जाती हैं और समाधि की अवस्था तक पहुँचना सहज हो जाता हैं।
योग शास्त्र में ध्यान करने के विभिन्न फायदे बताये गये है, जो शरीर को स्वस्थ व आत्मा को परमानंद की स्थिति प्रदान करते हैं। मनुष्य को ध्यान विधि द्वारा योग करने के फायदे जानकर उनका लाभ लेना चाहिए। आइये, ध्यान करने के फायदे जानते हैं।
Dhyan Karne Ke Fayde (ध्यान करने के फायदे)
1.Fayda- ध्यान मन एवं इंद्रियो को संतुलित कर बुरे विचारो को नष्ट कर देता हैं।
मन व इंद्रियाँ के कारण ही मनुष्य विषय वासनाओ के अधीन रहता हैं। परंतु ध्यान द्वारा मनुष्य अपने मन व इंद्रियों पर नियंत्रण पा कर, उन्हे अपने आज्ञा के अधीन कर लेता हैं। इसकारण उसका मन- लोभ, क्रोध, भ्रम, आसक्ति और वासना से मुक्त हो जाता हैं।
गीता में श्रीकृष्ण ने कहां है कि, मनुष्यों को बुरे विषयो के ध्यान से बचना चाहिए, – “ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते। सङ्गात्संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते॥”
अर्थात् विषयों का ध्यान करने से मनुष्य के मन में आसक्ति, आसक्ति से विषयो को भोगने के प्रति काम रूपी इच्छा का जन्म होता हैं, और इच्छाओ की पूर्ती ना होने पर क्रोध जन्म लेता हैं।
अतः मनुष्य को चाहिए कि वह अपना ध्यान बुरे विषयों की तरफ से हटाकर, अच्छे सकारात्मक कार्यो व विचारो की दिशा में लगायें।
2.Fayda- ध्यान करने से बुद्धि की क्षमता बढ़ जाने से यह सूक्ष्म व कठिन विषयों को सरलता से समझ लेती हैं।
ध्यान करने का दूसरा फायदा यह कि- लगातार ध्यान का अभ्यास करने से बुद्धि, मस्तिष्क को नियत्रंण कर इसकी कार्यक्षमता में साधारण मनुष्य के मस्तिष्क की तुलना में कई गुना वृद्धि कर देती हैं। फलस्वरूप मस्तिक्ष कठिन और सूक्ष्म विषयों को सरलता से स्मरण एवं समझ लेता हैं।
3.Fayda- मनुष्य के मोक्ष मार्ग में सहायक
व्यक्ति जब योग द्वारा ध्यान की अवस्था को प्राप्त कर लेता हैं, और ध्यान की अवस्था का साध लेता हैं,तब वह मनुष्य समाधि अवस्था को प्राप्त कर लेता हैं। तत्पश्चात समाधि सिद्ध हो जाने पर उसे परमात्मा का साक्षातार हो जाता हैं। जिससे उसे मोक्ष की प्राप्ति हो जाने से वह जीवन चक्र से मुक्त हो जाता हैं।
4.Fayda- अवसाद और चिंताओ को दूर करता हैं।
प्रतिदिन प्रातःकाल या सांयकाल 30 से 60 मिनट ध्यान(मेडिटेशन) करने से, मानसिक अवसाद, तनाव व चिंताये दूर होकर, मन प्रफुल्लित हो जाता हैं। और शरीर में नयी ऊर्जा का अनुभव होता हैं। जिससे कार्य करने की क्षमता में बढ़ोतरी हो जाती हैं।
5.Fayda- मनुष्य के स्वभाव में सरलता, विद्वता और चरित्र आकर्षक बन जाता हैं।
लगातार ध्यान का अभ्यास करने पर एक अवस्था ऐसी आती हैं, जब ध्यान केन्द्रित हो जाता हैं। ऐसी स्थिति में मनुष्य का विवेक जग जाता है, उसे सत्य-असत्य में भेद करना आसान प्रतीत पड़ता हैं। इसके कारण, मनुष्य का स्वभाव शांत एवं सरल हो जाने के से वह व्यक्ति स्वध्याय और प्रकृति की तरफ आकर्षित होने से- विद्वान होने लगता हैं। इन सबका प्रभाव उसके चरित्र को आकर्षक बना देता हैं।
6.Fayda- ध्यान करने वाला व्यक्ति झूठ फरेब से बचता और सत्य को धारण करता हैं।
लम्बे समय तक ध्यान करने वाले साधक को ध्यान के लाभ के रूप में- सत्य मार्ग पर चलने की प्रेरणा प्राप्त होती हैं। इसलिए, वह झूठ फरेब से हमेशा दूर रहता हैं, और सत्य के मार्ग का ही अनुसरण कर उस पर उन्नति का रास्ता खोजता हैं। इस प्रकार के मनुष्य के आत्मविश्वास में अद्भुत वृद्धि का अनुभव होने से- वह निर्भीक हो जाता हैं।
7.Fayda- मानसिक और शारीरिक ऊर्जा स्तर में वृद्धि
भारतीय शास्त्रो में शरीर को आठ चक्र व नौ द्वारो वाली अजय नगरी बताया गया हैं। योगसाधना के माध्यम से मनुष्य अपने शरीर में स्थित 8 चक्रो को ध्यान के माध्यम से जागृत कर सकता हैं। इन चक्रो की ऊर्जा व्यक्ति के शरीर व मस्तिष्क को शक्तिशाली बना देती हैं। वह व्यक्ति अब साधारण से असाधारण हो जाता हैं। ऐसा व्यक्ति किसी भी कार्य को सामान्य मनुष्य की अपेक्षा कई गुना तेजी एवं, गुणवत्ता से कर लेता हैं। चक्रो के जागृत होने से मनुष्य की कुंडलिनी शक्ति जागृत हो जाती हैं। ऐसा व्यक्ति परम ज्ञान व पूज्यनीय हो जाता हैं।
8.Fayda- नींद की खपत में कमी कर इसकी गुणवत्ता एवं गहनता को अच्छा कर देता हैं।
एक योग करने वाला मनुष्य, ध्यान के माध्यम से अपनी नींद की खपत में कमी करके,इसकी गुणवत्ता अच्छी कर देता हैं। ऐसा व्यक्ति कम सो कर भी ज्यादा फ्रेश व ऊर्जावान हो जाता हैं। इसका कारण यह है कि, ध्यान करने वाले व्यक्ति को बहुत सारी ऊर्जा ध्यान से मिलती हैं। फलस्वरूप उसे कम नींद की आवश्यकता होती हैं। वह कम समय में गहरी नींद लेकर प्रातःकाल जल्दी उठ जाता हैं, और समय का अधिक सदुपयोग करने लगता हैं।
9.Fayda- ध्यान के पूर्णतः फलित होने पर समाधि की स्थिति को प्राप्त होकर आत्मज्ञान होता हैं।
यौगिक क्रियाओ में ध्यान आसन के फलित करने के पश्चात, व्यक्ति- चित्त की सभी प्रकार की विषय वासनाओ पर विजय पा लेता हैं। तथा मन को नियन्त्रित कर समाधिस्त हो जाता हैं। समाधि की अवस्था में मनुष्य को अपने शरीर का ज्ञान नहीं रहता हैं। वह केवल आत्मज्ञान को प्राप्त हो परब्रह्म में लीन हो जाता हैं।
10.Fayda- विद्यार्थियों के मस्तिष्क को तेज बनाकर स्मर्ण शक्ति का विकास करता हैं।
जो विद्यार्थी प्रतिदिन ध्यान(मेडिटेशन) अभ्यास करते हुए अपने विचारो को एक बिन्दु पर केन्द्रित करते हैं। ऐसे विद्यार्थियो का मस्तिष्क कुछ समय पश्चात तेज एवं स्थिर हो जाता हैं। उनकी स्मर्ण शक्ति इतनी विकसित हो जाती है, कि एक बार किसी विषय या सब्जेक्ट को पढ़ने मात्र से उसे हमेशा के लिए याद हो जाता हैं।
अभी हमने dhyan karne ke fayde के विषय में अच्छे से चर्चा की, अब ध्यान करने का सही तरीका भी जान लेते हैं।
Dhyan Karne Ka Sahi Tarika
योग में ध्यान करने की विभिन्न आसन मुद्राएं बतायी गई हैं। किसी भी व्यक्ति को ध्यान करने लिए खुले हवादार व शांत स्थान पर एकांत में- पद्मासन (या सुखासन अथवा अन्य आसन) में सीधी कमर करके ध्यानमुद्रा में बैठ जाये। दोनो आँखे बद कर ले और अष्टचक्रो में से किसी एक चक्र को केन्द्र बिन्दु बनाकर उस पर फोकस करें। एक बात अवश्य दिमाग में रखे कि – ध्यान का अभ्यास धीरे-धीरे करें। जरुरत पड़ने व सही जानकारी नहीं होने पर किसी एक्सपर्ट की सहायता ले।