Blog Education

कोरोना काल में शिक्षा

coronavirus ka shiksha par prabhav

कोरोना काल में शिक्षा (corona kal me shiksha)

कोरोना वायरस महामारी ने शिक्षा को बुरी तरह से प्रभावित किया है। स्कूल, कॉलेज व अन्य विश्व विद्यालयों के बंद हो जाने से छात्रों की पढ़ाई का बहुत नुकसान हुआ है। कई सारे विद्यार्थी अपनी परीक्षा भी नहीं दे सके। अतः सरकार को उन्हें प्रमोट करना पड़ा, ताकि छात्रों का एक वर्ष बेकार ना हो।

कोविड-19 वायरस ने हम सभी को घरों में कैद करके रख दिया है। यह एक छूआछूत की बीमारी हैं। अतः एक-दूसरे से संक्रमित होने की बहुत ज्यादा संभावना रहती है। इसलिए बहुत से देशों की सरकारों ने लॉकडाउन जैसे तरीके को अपनाया। भारत ने अपने लोगों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विश्व का सबसे बड़ा लॉकड़ाउन लगाया गया।

इससे हमें बहुत से आर्थिक व अन्य प्रकार की हानि उठानी पड़ी है। लेकिन यह जरूरी कदम था। बच्चों, बुजुर्गों व कमजोर लोगों को देखते हुए हमें यह कदम उठाना पड़ा। अगर ऐसा नहीं किया जाता तो अब तक कितने करोड़ो लोगा को संक्रमण हो गया होता। स्कूल व कॉलेज के छात्रों को मद्देनज़र रखते हुए सरकार ने बहुत से छात्रों को अगली कक्षा के लिए पास कर दिया।

कोविड काल में शिक्षा एवं छात्र (covid kal mein shiksha avn chhatra)

कोविड काल में शिक्षा का नुकसान तो हुआ है। जिससे छात्रों कई महत्वपूर्ण परीक्षाएं अधूरी रह गई। दसवी व बारहवीं की परीक्षाएँ कई राज्यों में पूर्ण नहीं हो पाई। ऐसे में बच्चों को अगली कक्षा के लिए तैयार करने में सबसे अधिक सहायक, ऑनलाइन शिक्षा साबित हुई। ऑनलाइन शिक्षा के माध्यम से लगभग सभी विद्यार्थियों ने अपने सभी जरूरी विषयों की ऑनलाइन क्लास ली।

शिक्षा के क्षेत्र में यह तकनीकी का बहुत ही महत्वपूर्ण इस्तेमाल है। ऑनलाइन शिक्षा क्या है और इसका महत्व क्या है, यह कोरोना काल में हमें पता चल गया। जो भी हो ई-लर्निंग की सहायता से बच्चों ने अपने शिक्षकों से ऑनलाइन क्लासेस के माध्यम से शिक्षा से अपनी मित्रता बनाकर रखी। जिसका फायदा भी उन्हें मिला। अभी हाल ही में बच्चों जेईई की परीक्षा दी। जिसमें कई लाख छात्र शामिल थे।

 

सरकारी नौकरी की तैयारी करने वाले विद्यार्थी कोरोना काल में

रोज़गार के अवसर की तलाश में कितने छात्र सरकारी नौकरी की तैयारी करते है। लेकिन कोरोना वायरस की वजह से सभी प्रकार की सरकारी भर्तियाँ स्थगित कर दी गई। कोरोना संक्रमण के भय से विद्यार्थियोँ के जीवन के साथ खिलवाड़ नहीं किया जा सकता था। ऐसे में छात्रों की सुरक्षा को देखते हुए, परीक्षाओं को देर से कराना उचित कदम था। किंतु इसके बहुत ही नकारात्मक परिणाम छात्रों पर पडे। छात्र कोविड काल में भी सरकारी नौकरी के परीक्षा देने को तैयार है। ऐसा इसलिए है, क्योंकि रोजगार पाने के लिए छात्रों ने जिस उद्यश्य के लिए पढाई की थी अगर वो पूरा ना हो तो ऐसे पढाई का क्या फायदा। बहुत सारे छात्र ऐसे भी जो कई वर्षों से तैयारी कर रहे, कई ऐसे है जिनका आखिरी प्रयास बचा है। इस स्थिति में छात्रों का सरकार के प्रति आक्रोशित होना बिल्कुल स्वाभाविक है। जब बात रोज़गार और जीविका पर आती है तो व्यक्ति कोई समस्या का सामाना करने को तैयार हो जाता। अतः छात्र सरकारी परीक्षाएँ जल्द से जल्द कराने की माँग कर रहे है।

छात्रों पर लॉकडाउन के प्रभाव 

लॉकडाउन के छात्रों पर बहुत भयंकर प्रभाव पड़ें है। लॉकडाउन ने बच्चों को मानसिक व  शारीरिक रूप से बहुत ज्यादा प्रभावित किया है।स्कूल व कॉलेज बंद होने कारण बहुत तनाव झेलना पड़ा। क्योंकि बच्चों को कई महीनों तक घर में कैद हो रहना पड़ा। घर के अंदर ही महीनों समय बिताना बहुत जटिल हो गया। क्योंकि बच्चे स्कूल व कॉलेज नही जा पा रहे थे। बाहर खेल-कूद, घूमना-फिरना आदि गतिविधियाँ नही कर पा ये। जिससे उनके स्वास्थ्य को प्रभावित किया। साथ ही एक ही स्थान पर रहने से वो थोडे चिड़चिड़े भी हो गये। बच्चे ही क्या बड़े भी मानसिक व शारीरिक रूप से प्रभावित हुए।

विश्व स्वास्थ्य संगठन कोरोना वायरस पर रॉय

अगर छात्रों की संख्या पर ध्यान दे तो. पूरी दुनियाँ में एक बहुत बड़ी आबादी छात्रों की है। अतः छात्रों के बचाव के लिए सभी सरकारी व विश्व स्तरीय संस्थाएँ पूरा ध्यान दे रही है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना की वैक्सीन अगले वर्ष तक बनने को कहा है। कई देश कोरोना की वैक्सीन बनाने में लगे है। लेकिन पूर्णत सफल परीक्षण की कोई गारंटी नहीं दे पाया है। ऐसे में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने हमें शोसल डिस्टेंसिंग का पालन करने, साफ-सफाई रखने, बिना वजह बाहर जाने से मना आदि नियमों का पालन करने को कहाँ है।

उपंसहार

कोरोना काल का यह भयंकर समय अभी पूर्ण नहीं हुआ है। हमारे देश में तो इसका संक्रमण होने के अभी बहुत ज्यादा संभावना है। इसकी वैक्सीन अभी पूर्णतः सफल नहीं हो पाई है। ऐसे में बच्चों को शिक्षा के क्षेत्र से दूर नहीं रखा जा सकता है।

अभिभावन अपने बच्चों के कैरियर को लेकर चिंतित है। लेकिन साथ ही वे कोरोना के भय से बच्चों को स्कूल व कॉलेज आदि नही भेजना चाहते। ऐसे में सरकार भी इस पर विचार कर रही है कि इस समस्या का समाधान कैसे निकाला जाये। क्योंकि अगर हम शोसल डिस्टेंसिग अपनाकर भी स्कूल व कॉलेज खोल दे तो भी कोरोना संक्रमण की पूरी संभावना रहेंगी। इस स्थिति में फैसला लेने बहुत ही कठिन मालूम होता है।

क्योंकि जीवन की सुरक्षा सबसे पहली प्राथमिकता है। अतः इस महामारी काल में हम ऑनलाइन शिक्षा के फायदे उठाकर ही अगले वर्ष की सभी परीक्षाओ को ध्यान में रखकर तैयारी करे। छात्र इंटरनेट का सद्पयोग पढाई, दुरुपयोग न करे। क्योंकि इंटरनेट का ज्यादा प्रयोग हमारी एकाग्रता को भंग कर सकता है।

विभिन्न प्रकार की सामग्री इंटरनेट पर उपलब्ध है। अतः छात्र केवल अपने प्रयोग में आने वाली सामग्री का ही प्रयोग करे। साथ सभी मात-पिता की ज़िम्मेदारी है, कि वे अपने बच्चों को मानसिक व शारीरिक रूप से स्वस्थ रहने में सहायक बने।

उनका हौसला बढ़ाये, ताकि वे आने वाली सभी प्रकार कि समस्याओं का जीवन में सामना कर सके। और शिक्षा के उद्यश्य को साकार करे सके। शिक्षा हमें यही सिखाती है, कि जीवन की चुनौतियों से कैसे निपटे। साथ ही कैसे अपना आत्मविश्वास बनाये रखे और आगे बढ़े। जीवन की चुनौतियों को स्वीकार कर उनका सही समाधान करना ही सभी छात्रों का लक्ष्य होना चाहिए।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

You may also like

post-image
Business

Digital Marketer Kaise Bane : डिजिटल मार्केटिंग में करियर

Digital Marketer बनने के लिए आपको कंटेंट राइटिंग, सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन, सोशल मीडिया ऑप्टिमाइजेशन, गूगल एडवर्ड्स, सोशल मीडिया मार्केटिंग...