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Bhartiya Sanskriti Ki Visheshta : प्राचीन भारत की देन, निबंध

Bhartiya Sanskriti Ki Visheshta
  • प्राचीन भारतीय शास्त्रों के अनुसार पृथ्वी पर मनुष्य जाति की उत्पत्ति भारत देश से मानी जाती है। यह सभ्यता आदिकाल से अस्तित्व में है। 
  • भारतीय संस्कृति की पहचान वेदो से है। इसलिए भारतीय  संस्कृति को सत्य सनातन वैदिक संस्कृति कहा जाता है।
  • भारतीय संस्कृति में शिक्षा व्यवस्था की शुरुआत गुरुकुल से हुई । अतः यह व्यवस्था विश्व की सबसे प्रथम शिक्षा व्यवस्था है।
  • प्राचीन भारतीय संस्कृति में भारत देश अत्यंत धनी, शक्तिशाली और शिक्षित देश था।
  • गणित विषय की उत्पत्ति का श्रेय भारतीय प्राचीन शिक्षा को मिलता है। ज्योतिष शास्त्र में गणित के सूत्र का प्रयोग स्पष्ट रूप से मिलता है।
  • संस्कृत भाषा सर्वश्रेष्ठ संवाद की भाषा मानी जाती थी।  वैज्ञानिक व्याकरण के कारण यह भाषा शोध की भाषा है। सनातन धर्म के सभी शास्त्र संस्कृत भाषा में लिखे हुए है।

भारतीय संस्कृति की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह समस्त संसार को अपना परिवार समझती है। विश्व के सभी लोगो को अपना बंधु मानती है। भारतीय संस्कृति अपनी शान्तिप्रिय विचारधारा के लिए विख्यात है। इतिहास साक्षी है कि भारतीयों ने कभी भी किसी को बिना कारण परेशान नहीं किया, और न ही किसी दूसरे देशों पर आक्रमण किया है। लेकिन विदेशी आक्रमणकारी मुगलो, तर्को, अरबों ने भारत देश को लूटा और यहाँ की संस्कृति एवं शिक्षा को नष्ट करने का पूर्ण प्रयास किया। लेकिन भारत की प्राचीन संस्कृति, कला और शिक्षा को कोई मिटा नहीं सका । यह सभ्यता आज तक जीवित है। इसके पीछे का कारण भारत की अति प्राचीन शिक्षा नीति है। 

सत्य के मार्ग पर चलने वाला राष्ट्र

भारतीय प्राचीन संस्कृति की विशेषता है कि यह देश सत्य को अपना मार्गदर्शक समझता है। जो व्यक्ति सत्य के मार्ग पर चलते है उनकी अंतरात्मा का अज्ञान नष्ट हो जाता है और ज्ञान का दीपक प्रज्वलित हो जाता है। जिस समाज में सत्यवान लोग रहते है उस समाज से भ्रष्टाचार, अन्याय एवं अन्य बुराइयां सदा के लिए मिट जाती है। वहां के लोग स्वयं को सुरक्षित अनुभव करते है। जिससे देश में सुख शांति का उदय होता है।

विश्व का प्रथम शिक्षित देश

भारतवर्ष में आदिकाल से गुरुकुल में सभी बालक बालिकाओं को शिक्षा प्रदान की जाती थी। यह व्यवस्था प्रैक्टिकल ज्ञान पर आधारित होती थी। सभी माता पिता का कर्तव्य था कि वे अपने बच्चों को गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए भेजे। लड़के और लड़कियों दोनों के लिए अलग गुरुकुल होते थे। यहाँ बच्चों को शास्त्र के साथ शस्त्र की भी विद्या दी जाती थी। विद्यार्थी अपनी रुचियों के अनुसार कोई भी विषय चुन सकते थे। छात्रों का रहन सहन, भोजन और वस्त्र अत्यंत साधारण होते थे। प्रतिदिन योग करना अनिवार्य था ताकि शरीर सदैव निरोगी रहे।

दुनिया की पहली यूनिवर्सिटी बनाई

दुनिया की पहली यूनिवर्सिटी भारत में बनायी गयी। जिसका नाम था तक्षशिला। महान कूटनीतिज्ञ  चाणक्य इसी विश्वविद्यालय में आचार्य के पद पर विराजमान थी। चक्रवर्ती सम्राट चन्द्रगुप्त मौर्य चाणक्य के शिष्य थे। इसके अलावा नालंदा, विक्रमशिला आदि महत्वपूर्ण विश्वविद्यालय प्राचीन भारत की देन है। अन्य देशों को जब पढ़ना लिखना भी नहीं आता था उस समय भारत के लोग उच्च स्तर की शिक्षा ग्रहण करते थे। जिनमें विज्ञान, आयुर्वेद, ज्योतिष, युद्ध कला, अंतरिक्ष खोज आदि विषय सम्मिलित थे।

योग का जन्मदाता

भारतवर्ष में ही योग विज्ञान का जन्म हुआ है। भारतीय ऋषियों ने यह जान लिया था कि योग करने से शरीर सदा स्वस्थ रहता है। और मन वश में हो जाता है। इसलिए उन्होंने समस्त भारतवासियों को योग करने की शिक्षा दी। प्रतिदिन योग करने से शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का निर्माण होता है। मनुष्य का चित्त प्रफुल्लित रहता है। जब यह बात विदेशियो को पता चली तो उन्होंने भारतीयों से योग की शिक्षा ली। इसलिए आज पूरी दुनिया योग को अपना रही है। वर्तमान भारत में, योग गुरु स्वामी रामदेव जी ने पुनः योग विद्या को जीवित किया है, और समस्त विश्व वासियों तक योग के लाभ को पहुंचाया है। इसी कारण संयुक्त राष्ट्र ने प्रधानमंत्री मोदी जी के 1 जून को विश्व योग दिवस मनाने के प्रस्ताव  को स्वीकार किया।

सौर मंडल की खोज

प्राचीन भारतीय ऋषियों द्वारा सर्वप्रथम सौरमंडल की खोज की गई। भारत के ग्रंथों में नक्षत्र, ग्रह, आकाशगंगा, सप्तऋषि, गुरुत्वाकर्षण, सूर्य, चन्द्र गति आदि वैज्ञानिक तथ्यों का प्रमाण मिलता है। भारत के सबसे प्राचीन ग्रन्थ ऋग्वेद में सृष्टि उत्पत्ति का विषय क्रम से दिया गया है। पृथ्वी पर जीवन का प्रमुख कारण सूर्य है और यह ब्रह्मांड अनंत है भारतीय ने पहले ही जान लिया था। 

भारतीय ऋषि मुनि सूर्य और चन्द्र ग्रहण की सही तिथि की गणना वैदिक गणित के अनुसार करने में निपुण थे। वर्तमान में भी भारतीय ज्योतिष शास्त्री बिना किसी आधुनिक तकनीकी के अमावस्या व पूर्णिमा को लगने वाले  ग्रहण का पता सरलता से कर लेते है।

प्राकृतिक स्रोतों से समृद्ध देश

भारत विश्व में एकमात्र ऐसा देश है, जहाँ पर मनुष्यों की दैनिक आवश्यकताओं की प्रत्येक वस्तु प्रचुर मात्रा में प्राकृतिक संसाधनो मे पायी जाती है। शरद, ग्रीष्म, वर्षा और वसंत चार ऋतुओं वाला यह देश प्राकृतिक खाद्य पदार्थ, खनिज, धातु और ईंधन से समृद्ध है। रोग उपचार के लिए प्राकृतिक औषधियों, और पीने के लिए शुद्ध जल उपलब्ध है। पवित्र नदी गंगा जी का जल जीवों के लिए अत्यंत लाभकारी है। हिमालय की औषधि के कारण जल यह सड़ता नहीं है।

सबसे अधिक पर्व मनाने वाला देश

भारत एक ऐसा देश है जो विश्व में सबसे अधिक पर्व मनाता है इस देश के व्यक्ति प्रतिमाह कोई ना कोई त्यौहार मनाते हैं इसके पीछे का कारण यह है कि त्योहार मनाने से मनुष्य के जीवन में खुशहाली आती है मनुष्य को तनाव से मुक्ति मिलती है भारत में त्योहार मनाने का एक कारण यहां की प्राचीन सांस्कृतिक इतिहास है। दीपावली, होली, जन्माष्टमी, दशहरा, नवरात्रि, शिवरात्रि, रक्षाबंधन, भैया दूज आदि त्योहारों के पीछे एक इतिहास छिपा है जिससे भारत के व्यक्तियों को जीवन जीने की प्रेरणा मिलती है भारतीय शास्त्रों के अनुसार त्योहार मनाने से जीवन के दुख दूर होते हैं व्यक्ति अपने आप को स्वतंत्र महसूस करते है।

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